मुंबई: कर्नाटक में चल रहे सियासी ड्रामे का असर देश के अन्य राज्यों में भी दिख रहा है. गोवा, मणिपुर और मेघालय में कांग्रेस ने और बिहार में आरजेडी ने सबसे बड़ी पार्टी होने के दम पर सरकार बनाने का दावा ठोक दिया है. गोवा कांग्रेस के नेता आज सूबे की राज्यपाल मृदुला सिंह से मिले और सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को आमंत्रण देने का आग्रह किया. वहीं, पटना में आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव अपनी पार्टी, कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के विधायकों के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया.
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. बीजेपी 104 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. जिसे बुधवार को सूबे के गवर्नर वाजूभाई वाला ने सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. वहीं, कांग्रेस- जेडीएस ने 117 विधायकों का समर्थन का दावा करते हुए अपनी सरकार बनाने का दावा पेश किया था, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया. राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया. इसी तर्ज पर कांग्रेस ने गोवा में और आरजेडी ने बिहार में सरकार बनाने का दावा किया है.
गोवा राज भवन के बाहर विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने पत्रकारों से कहा कि राज्यपाल को एक आवेदन दिया गया है, जिसमें उनसे मार्च 2017 में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी होने और इसके 16 विधायक होने के बावजूद सरकार बनाने के लिए उसे आमंत्रण न देकर भाजपा को न्योता देने की 'पिछली गलती को सुधारने' का आग्रह किया गया है. कावलेकर ने कहा, "हमने उनसे वही करने के लिए कहा, जो कर्नाटक के राज्यपाल ने किया है. हमने गोवा में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को आमंत्रित करने के लिए कहा क्योंकि हम राज्य की सबसे बड़ी पार्टी हैं."
इसके आलावा ऐसी भी ख़बरें आ रही है कि मणिपुर में भी कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सरकार बनाने का दावा पेश किया है. इसके आलावा मेघालय और नागालैंड में पूर्व मुख्यमंत्री शुक्रवार को राज्यपाल से मिले. मेघालय में कांग्रेस और नागालैंड में एनपीएफ सबसे बड़ी पार्टी है.
वहीं, राज्यपाल से मुलाकात के बाद तेजस्वी ने राजभवन से बाहर संवाददाताओं से कहा, "हमने राज्यपाल को 111 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है. अगर महागठबंधन को सरकार बनाने का मौका दिया जाएगा तो वे सदन में बहुमत साबित कर देंगे."
बहरहाल, गेंद अब दोनों राज्यों के राज्यपाल के पाले में है. देखना दिलचस्प होगा की वह क्या निर्णय लेते है.