नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को भारत-अमेरिका 'टू प्लस टू' वार्ता के दौरान कहा कि भारत को उसकी उत्तरी सीमाओं पर चीन की 'अंधाधुंध आक्रामकता' से चुनौती मिली है. अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से 'टू प्लस टू' (2 Plus 2) वार्ता के सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयान के अनुसार सिंह ने कहा, "रक्षा के क्षेत्र में हमें अपनी उत्तरी सीमाओं पर अंधाधुंध आक्रामकता से चुनौती मिली है." सिंह ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) और रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर को 'भारत-अमेरिका साझेदारी पर व्यक्तिगत प्रतिबद्धता' के लिए धन्यवाद दिया.
सुरक्षा मुद्दों के अलावा उन्होंने कोविड-19 महामारी के बारे में भी बात की और इस बार पर भी विमर्श किया गया कि इस महामारी ने दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कैसे नुकसान पहुंचाया है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सीमा विवाद को लेकर पिछले छह महीने से गतिरोध बना हुआ है. दोनों देशों की सेनाओं की सात कमांडर स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सीमा का मुद्दा अभी भी नहीं सुलझा है. सर्दियों के दौरान एलएसी पर दोनों ही देशों की ओर से अपने सुरक्षा बलों को हटाने या उनकी संख्या कम करने की संभावना नहीं दिख रही है.
यही वजह है कि बेहद ठंडे और दुर्गम स्थानों पर तैनात सैनिकों के लिए आवश्यक सामग्री की पहुंच सुनिश्चित करना दोनों ही देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है. विवादित भारत-चीन सीमा के साथ महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात सैनिक शून्य से नीचे के तापमान पर डटे हुए हैं और उन्हें इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. भारत ने 30 अगस्त को पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर रेचिन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबोप जैसी महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले स्थानों पर अपनी पहुंच सुनिश्चित कर ली थी.
भारतीय सेना ने ब्लैकटॉप के पास भी कुछ स्थानों पर तैनाती की थी. भारत की ओर से यह कदम चीन द्वारा भड़काऊ सैन्य कार्रवाई के बाद उठाया गया था. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (Chinese People's Liberation Army) ने 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर भारतीय सैनिकों पर एक बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. दोनों सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के सैनिक भी हताहत हुए थे.