Supreme Court On Bihar Caste Census: बिहार में 7 जनवरी से जातिगत जनगणना शुरू हो चुकी है. हिंदू सेना ने इस पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. अब इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई होगी. याचिका में कहा गया कि जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन मूल भावना के खिलाफ है और मूल ढांचे का उल्लंघन है, लिहाजा अधिसूचना को ही रद्द करने की गुहार लगाई गई है. Bihar Caste Census: जानें बिहार में कैसे हो रही है जातिगत जनगणना, कितना आएगा खर्च?
याचिका में कहा गया कि क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत आधार पर जनगणना करवाने का अधिकार देता है? क्या 6 जून को बिहार सरकार के उप सचिव की ओर से जारी अधिसूचना जनगणना कानून 1948 के खिलाफ है? क्या किसी समुचित या विशिष्ट कानून के अभाव में जाति आधारित जनगणना के लिए अधिसूचना जारी करने की अनुमति हमारा संविधान राज्य को देता है? क्या राज्य सरकार का जातिगत जनगणना कराने का निर्णय सभी राजनीतिक दलों की सहमति से लिया गया एकसमान निर्णय है?
याचिका में कहा गया कि बिहार राज्य की अधिसूचना और फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बिना है. बिहार में सात जनवरी से जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राज्य में यह सर्वे करवाने की जिम्मेदारी सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) को सौंपी गई है. इस सर्वे में परिवार के लोगों के नाम, उनकी जाति, जन्मस्थान और परिवार के सदस्यों की संख्या से जुड़े सवाल होंगे. इसके साथ ही उनके आर्थिक स्थिति और सालाना आय से जुड़े सवाल भी होंगे. राज्य सरकार ने मई 2023 तक जातीय जनगणना की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा है.