Bihar Caste Census 2023: बिहार में आखिरकार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का काम शुरू हो गया. जातिगत जनगणना 7 जनवरी से शुरू होगी. ये दो चरणों में होगा. पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेगा. दूसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा. इस साल मई तक जातिगत जनगणना का काम निपटाने को कहा गया है. Hajj Season 2023: सऊदी अरब ने लिया बड़ा फैसला, इससे भारत समेत दुनिया भर के मुसलमानों को होगा फायदा
पहले चरण में घरों की गिनती होगी. इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से हो गई है. इसमें विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के घरों को गिना जा रहा है. इसके अलावा घर के मुखिया और परिवार के सदस्यों के नाम दर्ज किए जा रहे हैं. बिहार का एक बड़ा तबका देश के अलग-अलग हिस्सों में रहता है. उनकी गिनती भी की जाएगी.
नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा है. पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. जिला स्तर पर जातिगत जनगणना का काम डीएम को सौंपा गया है. उन्हें ही नोडल अफसर भी बनाया गया है.
सामान्य प्रशासन विभाग के कर्मचारी, डीएम और ग्रामीण स्तर पर अलग-अलग विभागों के सबऑर्डिनेट ऑफिसेस के कर्मचारियों को जातिगत जनगणना की जिम्मेदारी दी गई है. इनके अलावा जीविका दीदीयों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद ली जाएगी.
राज्य सरकार जातिगत जनगणना के सर्वे पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. ये खर्च अनुमानित है. यानी, ये कम और ज्यादा भी हो सकता है. ये खर्च कंटेनजेंसी फंड से किया जाएगा.
Bihar Caste Census 2023: बिहार में आखिरकार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का काम शुरू हो गया. जातिगत जनगणना 7 जनवरी से शुरू होगी. ये दो चरणों में होगा. पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेगा. दूसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा. इस साल मई तक जातिगत जनगणना का काम निपटाने को कहा गया है. Hajj Season 2023: सऊदी अरब ने लिया बड़ा फैसला, इससे भारत समेत दुनिया भर के मुसलमानों को होगा फायदा
पहले चरण में घरों की गिनती होगी. इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से हो गई है. इसमें विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के घरों को गिना जा रहा है. इसके अलावा घर के मुखिया और परिवार के सदस्यों के नाम दर्ज किए जा रहे हैं. बिहार का एक बड़ा तबका देश के अलग-अलग हिस्सों में रहता है. उनकी गिनती भी की जाएगी.
नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा है. पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. जिला स्तर पर जातिगत जनगणना का काम डीएम को सौंपा गया है. उन्हें ही नोडल अफसर भी बनाया गया है.
सामान्य प्रशासन विभाग के कर्मचारी, डीएम और ग्रामीण स्तर पर अलग-अलग विभागों के सबऑर्डिनेट ऑफिसेस के कर्मचारियों को जातिगत जनगणना की जिम्मेदारी दी गई है. इनके अलावा जीविका दीदीयों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद ली जाएगी.
राज्य सरकार जातिगत जनगणना के सर्वे पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. ये खर्च अनुमानित है. यानी, ये कम और ज्यादा भी हो सकता है. ये खर्च कंटेनजेंसी फंड से किया जाएगा.