राज्यसभा में कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के नेतृत्व में विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन को तत्काल रद्द करने की मांग की है और ऐसा नहीं करने पर उन्होंने शेष मानसून सत्र का बहिष्कार करने की धमकी दी है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं, जिसमें आठ सांसदों के निलंबन को रद्द करना और सरकार का एक और विधेयक लाना शामिल है, जिसके तहत कोई भी निजी कंपनी एमएसपी से नीचे की खरीद नहीं कर सकती है, विपक्ष सत्र का बहिष्कार करना जारी रखेगा."
आजाद ने कहा, "कोई भी इस सदन में हुई घटनाओं से खुश नहीं है. जनता चाहती है कि उनके नेताओं को सुना जाए. कोई भी उनके विचारों को केवल 2-3 मिनट में सामने नहीं ला सकता है." समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने निलंबित सदस्यों की ओर से उनके आचरण के लिए माफी मांगी, और निलंबन को तत्काल रद्द करने की मांग की, लेकिन कहा कि दोनों पक्षों से गलती हुई है. राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि निलंबन हुआ है, बल्कि "मैं मंत्री के प्रस्ताव के साथ आश्वस्त था." उन्होंने यह भी कहा कि उप सभापति को हटाने की जो प्रक्रिया है वो उचित प्रारूप में नहीं है. यह भी पढ़े: कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक संसद सत्र के बाद, नए अध्यक्ष पर फैसले की उम्मीद
उन्होंने उप सभापति का भी बचाव किया और कहा कि आसन को दोष नहीं देना चाहिए. रविवार को सदन में जबरदस्त हंगामा हुअ और सासंदों को सदन की गरिमा के साथ खिलवाड़ करते देखा गया. तृणमूल सांसद डेरेक ओ' ब्रायन ने चेयर ने आसन के पास पहुंचकर नियम पुस्तिका का हवाला देते हुए माइक छीनने की कोशिश की थी. जब उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया गया, तो डेरेक ने बिल को काला कानून कहते हुए नियम पुस्तिका को ही फाड़ डाला. यहां तक कि कई विपक्षी सदस्य कृषि विधेयकों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सदन के वेल तक पहुंच गए. सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति एम. वेंकैया नायडू ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा, सैयद नासिर हुसैन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और माकपा के के.के. रागेश और ई. करीम को निलंबित कर दिया था.