Madhya Pradesh में कोरेाना के बाद डेंगू से लड़ने में जुटी सरकार
प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो क्रेडिट- Wikimedia Commons )

भोपाल, 30 सितम्बर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में केारोना महामारी की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के बाद डेंगू और मच्छर जनित बीमारियों बढ़ रही है. इन हालातों से निपटने के लिए राज्य सरकार सारे एहतियाती कदम उठा रही है. तमाम जिलों में डेंगू व अन्य बीमारियों का विस्तार न हो पाए, इसके प्रयास जारी हैं. राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार डेंगू के मरीज बढ़ रहे है. इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर के अलावा अन्य स्थानों पर भी डेंगू के मरीज पाए गए है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए सफाई अभियान चलाया जा रहा है तो वहीं लोगों को जागरुक भी किया जा रहा है. घर-घर सर्वेक्षण अभियान चल रहा है.

ग्वालियर शहर में डेंगू एवं मच्छर जनित अन्य बीमारियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के निर्देश पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत जल भराव वाले क्षेत्रों में मच्छर लार्वा भक्षी गम्बूसिया मछलियाँ डाली जा रही हैं. इसी क्रम में बुधवार को शहर के महाराज बाड़ा, फूलबाग चैराहा व झलकारी बाई पार्क में लगे फब्बारों के टैंक में गम्बूसिया मछलियां डाली गईं.

इसी तरह शहर के चौराहों व पार्कों में लगे फब्बारों के साथ-साथ गम्बूसिया मछलियों को बैजाताल, सागरताल, जनकताल आदि जल भराव वाले स्थानों पर भी डालकर शहर में मच्छर व डेंगू एवं मलेरिया नियंत्रण की दिशा में मलेरिया विभाग, स्वास्थ्य विभाग व एम्बेड परियोजना की ओर से प्रयास किये जा रहे हैं. इसके अलावा वार्ड स्तर पर समितियाँ बनाकर लार्वा सर्वे, लार्वा विनिष्टीकरण, स्प्रे और लोगों को समझाईश देने का कार्य भी नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, मलेरिया विभाग व एम्बेड टीम के मैदानी कार्यकतार्ओं द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है. यह भी पढ़े: प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखी

मलेरिया विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गम्बूसिया मछली एक विशेष प्रजाति की मछली है, जिसका मुख्य भोजन मच्छर का लार्वा होता है. इसका आकार दो से तीन सेंटीमीटर तक ही होता हैं. यह मछली हर 15 दिनों के अंतराल से प्रजनन कर अपनी संख्या बढ़ाती हैं. खास बात यह है कि यह मछली अंडे न देकर सीधे बच्चों को जन्म देती है. इस तरह यह मछली अपनी संख्या को तेजी से बढ़ाती है और पानी में पल रहे लार्वा का भक्षण कर मच्छरों की संख्या नियंत्रित करने में महती भूमिका निभाती है अर्थात डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों के नियंत्रण में यह मछली हमारी सहायक होती हैं.

भोपाल में भी विभिन्न क्षेत्रों, अति संवेदनशील क्षेत्रों, स्लम एरिया और अन्य बस्तियों में डेंगू लार्वा, मलेरिया, रैपिड टेस्ट, ब्लड स्लाइड कलेक्शन और कोरोना से बचाव की जानकारी आदि का कार्य व्यापक स्तर पर किया जा रहा है. जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे ने बताया कि मलेरिया की रोकथाम के लिए विभिन्न क्षेत्रों में दल नियुक्त कर अभियान चलाया जा रहा है. राजधानी में फिलहाल डेंगू का प्रकोप फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है, यही कारण है कि बुधवार को भोपाल में डेंगू के नौ नए मरीज सामने आए. इस महीने शहर में मिलने वाले डेंगू मरीजों का आंकड़ा 263 तक पहुंच गया.