नई दिल्ली: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत और भी ज्यादा खराब हो गई है. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत बेहद नाजुक बताई जा रही है. वहीं हालत बिगड़ने के बाद उन्हें पिछले तीन दिनों से वेंटिलेटर (लाइफ सपोर्ट सिस्टम) पर रखा गया है. डॉक्टरों की एक टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है.
पीएम मोदी ने बुधवार शाम को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हालचाल लेने एम्स गए. इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, मीनाक्षी लेखी और डॉ हर्षवर्धन आदि भी एम्स गए थे. बुधवार के एम्स के डायरेक्टर ने पीएम मोदी से मुलाकात कर उन्हें वाजपेयी की सेहत की जानकारी दी थी. अटल बिहारी वाजपेयी का पुत्र बनने के लिए SC में दायर की याचिका, देखरेख की मांगी अनुमति
93 वर्षीय वाजपेयी एम्स के कार्डियोथोरेसिक एंड वास्कुलर सर्जरी इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती हैं. उन्हें पेशाब मार्ग में संक्रमण और छाती में तकलीफ की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती किया गया था. उन्हें पेशाब कम हो रहा है. उनके गुर्दे को सपोर्ट देने के लिए उन्हें इंजेक्शन के जरिए एंटीबायोटिक्स और स्लो डायलिसिस पर रखा गया है.
Prime Minister Narendra Modi reaches All India Institutes of Medical Sciences (AIIMS) to meet Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee. #Delhi pic.twitter.com/BeGhqVh0z2
— ANI (@ANI) August 15, 2018
अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में थोड़े दिनों के लिए और फिर 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे थे. लेकिन वह बीते एक दशक से अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हैं. उन्हें भारतीय राजनीति के 'भीष्म पितामह' के रूप में भी जाना जाता है यही कारण है कि उन्हें जनता, उनकी पार्टी और विपक्ष के नेता भी बेहद पसंद करते हैं.
वाजपेयी ने दिसंबर 2005 में सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट का ऐलान किया. अटल बिहारी वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, 1994 में ही गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार और 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया.
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अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में थोड़े दिनों के लिए और फिर 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे थे. लेकिन वह बीते एक दशक से अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हैं. उन्हें भारतीय राजनीति के 'भीष्म पितामह' के रूप में भी जाना जाता है यही कारण है कि उन्हें जनता, उनकी पार्टी और विपक्ष के नेता भी बेहद पसंद करते हैं.
वाजपेयी ने दिसंबर 2005 में सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट का ऐलान किया. अटल बिहारी वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, 1994 में ही गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार और 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया.