श्रीनगर: करीब सात महीने तक पब्लिक सेफ्टी एक्ट (Public Safety Act) के तहत नजरबंद रहने के बाद शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu And Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) और नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी (National Conference Party) के नेता फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) को रिहा कर दिया गया. नजरबंदी से आजाद होते ही पिछले सात महीने में पहली बार फारूक अब्दुल्ला ने अपने बेटे और पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) से मुलाकात की. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद से ही फारूक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत नजरबंद किया गया था और करीब 7 महीने बाद उन्हें रिहा किया गया है.
शुक्रवार को सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत से रिहा होने के बाद शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने निवास स्थान से बेटे के निवास स्थान की ओर प्रस्थान किया, जहां उनके बेटे व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. जब पिता और बेटे की मुलाकात हुई तो दोनों ने गर्मजोशी से एक-दूसरे को गले लगा लिया.
बेट उमर अब्दुल्ला से मिले फारूक अब्दुल्ला
Srinagar: National Conference leader Farooq Abdullah today met his son & party leader Omar Abdullah at the place where the latter has been detained in Srinagar, under Public Safety Act (PSA). Farooq Abdullah was released from detention yesterday. pic.twitter.com/4bdAhOK2bS
— ANI (@ANI) March 14, 2020
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 82 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला ने सात महीने में पहली बार अपने बेटे से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर प्राधिकरण से अनुरोध किया था, जिसके बाद उन्हें अपने बेटे से मिलने की इजाजत दी गई. दोनों की यह मुलाकात करीब एक घंटे की रही. यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर: फारूक अब्दुल्ला 7 महीने बाद हिरासत से हुए रिहा, कहा- मैं आज आजाद हूं
बता दें कि फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष व पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती सहित कई अन्य नेताओं को पिछले साल 5 अगस्त को हिरासत में लिया गया था. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और राज्य का विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद ही इन नेताओं को हिरासत में लिया गया था. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि जम्मू-कश्मीर में कुल 451 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से करीब 396 लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया था.