विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र (यूएनएससी) भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट देने में विफल रहता है तो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ जाएगी. उन्होंने यह बयान गुरुवार, 1 सितंबर 2023 को दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में दिया.
भारत कई वर्षों से यूएनएससी सुधार का मुखर समर्थक रहा है. वर्तमान यूएनएससी संरचना पांच स्थायी सदस्यों (पी5) के पक्ष में झुकी हुई है, जो चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं. इन पांच देशों के पास यूएनएससी के किसी भी प्रस्ताव पर वीटो शक्ति है, जो उन्हें दुनिया के मामलों पर असंगत मात्रा में प्रभाव प्रदान करती है. One Nation-One Election: ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ भाजपा के फायदे का सौदा, यहां समझिए सियासी गणित
भारत का तर्क है कि वह अपने आकार, जनसंख्या और आर्थिक वजन के कारण यूएनएससी में स्थायी सीट का हकदार है. यह दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भी इसका प्रमुख योगदान है.
जयशंकर ने कहा कि दुनिया की बदलती वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए यूएनएससी में सुधार की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यूएनएससी की वर्तमान संरचना "उस दुनिया का प्रतिनिधि नहीं है जिसमें हम रहते हैं." उन्होंने कहा, "अगर भारत को यूएनएससी से बाहर रखा जाता है तो इससे संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो जाएगा."
यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी को फ्रांस सहित पांच स्थायी सदस्यों में से चार ने समर्थन दिया है. हालांकि, चीन और रूस भारत की सदस्यता का विरोध करते रहे हैं. जयशंकर का बयान यूएनएससी सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और उसके विश्वास का एक मजबूत संकेत है कि वह मेज पर स्थायी सीट का हकदार है.