आपको रिकॉर्ड करने का अधिकार नहीं था! HC ने राजदीप सरदेसाई को लगाई फटकार, शाज़िया इल्मी के वीडियो को हटाने का आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को एक वीडियो को हटाने का आदेश दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रवक्ता शाज़िया इल्मी पर इंडिया टुडे के एक वीडियो पत्रकार के साथ "दुर्व्यवहार" करने का आरोप लगाया था. कोर्ट ने सरदेसाई को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, "आपको रिकॉर्ड करने का कोई अधिकार नहीं था और न ही इस वीडियो को उपयोग करने का."

मामला क्या है?

यह मामला 26 जुलाई को इंडिया टुडे पर प्रसारित एक टीवी डिबेट से जुड़ा है, जिसका संचालन राजदीप सरदेसाई कर रहे थे. इस डिबेट का विषय कारगिल विजय दिवस से संबंधित राजनीति और अग्निवीर योजना पर था. इस डिबेट में मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) यश मोर और शाज़िया इल्मी भी शामिल थे. डिबेट के दौरान, जब मेजर जनरल मोर अग्निवीर योजना की कमियों पर बात कर रहे थे, तो शाज़िया इल्मी ने हस्तक्षेप किया. इस पर सरदेसाई ने कहा कि मोर "कठिन तथ्यों" को सामने रख रहे हैं. इल्मी ने जवाब में कहा, "प्रवचन मत दीजिए." इसके बाद डिबेट में गर्मागर्मी बढ़ गई और शाज़िया इल्मी शो छोड़कर चली गईं.

उस रात, इल्मी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर आरोप लगाया कि डिबेट के दौरान सरदेसाई ने उनके माइक की आवाज़ को कम कर दिया था. अगले दिन, सरदेसाई ने सोशल मीडिया पर इल्मी पर इंडिया टुडे के वीडियो पत्रकार के साथ 'दुर्व्यवहार' करने का आरोप लगाया और इसका वीडियो साझा किया.

अदालत का आदेश

शाज़िया इल्मी ने इस वीडियो को लेकर राजदीप सरदेसाई, इंडिया टुडे और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति मनीमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने सरदेसाई को वीडियो हटाने का आदेश दिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से भी इसे ब्लॉक करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक इल्मी की ओर से मांगी गई अंतरिम राहत पर सुनवाई नहीं हो जाती.

शाज़िया इल्मी की प्रतिक्रिया

कोर्ट के आदेश के बाद, शाज़िया इल्मी ने जज को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब "इस राजनीतिक प्रोपेगेंडा से किया गया स्टिंग मुझे मानसिक और भावनात्मक पीड़ा नहीं पहुंचाएगा." उन्होंने अपने समर्थकों को भी धन्यवाद दिया और कहा, "इन कठिन समय में मेरा समर्थन करने वाले सभी लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा परिवार और मैं आप सभी के प्रति गहरी कृतज्ञता महसूस करते हैं."

इस मामले ने पत्रकारिता, व्यक्तिगत अधिकारों और मानहानि के बीच के नाजुक संतुलन को उजागर किया है. कोर्ट का आदेश इस बात की याद दिलाता है कि किसी की छवि और सम्मान को नुकसान पहुंचाने के आरोपों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मीडिया और राजनीति के बीच के जटिल संबंधों को भी उजागर करता है.