Delhi Election Results 2022:- दिल्ली में एक बार फिर से केजरीवाल सरकार को जनता ने मैंडेट देकर सत्ता की चाभी सौंपी दी है. इस बार के चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर थी. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और AAP के बीच जमकर जुबानी जंग हुई. इस दरम्यान कई विवादित बयान भी आए. जैसे कि बीजेपी के नेता ने केजरीवाल को आंतकी तक कह डाला था. लेकिन परिणाम ने साबित कर दिया कि दिल्ली की जनता केजरीवाल की सरकार को चुना. AAP की जीत के बाद रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्ववीट कर दिल्ली की जनता को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर के लिखा कि भारत की आत्मा की रक्षा में साथ देने के लिए दिल्ली की जनता का आभार. बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 60 और बीजेपी 08 और 00 पर सिमटती नजर आ रही है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में केजरीवाल इस जीत के पीछे प्रशांत किशोर का बड़ा हाथ है. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चाय पर चर्चा, बिहार में जेडीयू के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसी के वाईएस जगन मोहन रेड्डी के लिए काम कर चुके हैं. वहीं द्रमुक ने कहा है कि अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान की रुपरेखा बनाने के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की संस्था इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपैक) की सहायता लेगी.
जानें कौन है प्रशांत किशोर
बिहार के रोहतास जिले से सासाराम के नजदीक स्थित गांव कोनार से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में हुआ था. प्रशांत किशोर के पिता सरकारी डॉक्टर हैं. प्रशांत किशोर ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई बिहार से की और उसके बाद हैदराबाद से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने यूनाईटेड नेशन (UN) नौकरी को छोड़ उन्होंने भारत का रुख किया. जहां पर साल 2011 में सबसे पहले उस वक्त के गुजरात के सीएम मोदी का साथ पकड़ा. प्रशांत किशोर को साल 2014 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है.
प्रशांत किशोर के नाम इसके बाद 2015 बिहार विधानसभा चुनाव ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार संभाला था. जहां उन्हें बड़ी जीत मिली थी. लेकिन अंदरूनी कलह के कारण जेदयु और आरजेडी अलग हो गए. उसके बाद साल 2016 में प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनाव का कमान भी संभाला था. इसमें अमरिंदर सिंह को बड़ी जीत दिलाई. लेकिन इस दौरान उन्हने साल 2017 में कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में कोशिश की लेकिन उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ा. यहां बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और कांग्रेस को 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.