नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से ठीक पहले देश के 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखकर चुनाव आयोग के कामकाज पर चिंता व्यक्त की है. इस पत्र के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि चुनाव आयोग विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है जिसके परिणाम स्वरुप चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को खतरा हो सकता है.
पूर्व नौकरशाहों द्वारा यह पत्र ऐसे समय में लिखा गया है, जब कई विपक्षी दल विशेष रूप से कांग्रेस ने पोल पैनल के निर्णयों पर सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी और उसके सहयोगियों के पक्ष में काम कर रही है. सभी का आरोप है कि चुनाव आयोग ने NaMo TV के प्रसारण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक 'पीएम नरेंद्र मोदी' फिल्म और एंटी-सैटेलाइट हथियार (एएसएटी) के सफल प्रक्षेपण के बाद पीएम मोदी के सार्वजनिक घोषणा पर शिकायत के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया.
पत्र में कहा गया है, “भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को लेकर हम अपनी गहरी चिंता को व्यक्त करने के लिए यह लिख रहे हैं. ” पत्र में आगे कहा गया कि, “जिसके पास जटिलता और भारी चुनौतियों के बावजूद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का एक लंबा और सम्मानजनक रिकॉर्ड हो, अब वह एक विश्वसनीयता की संकट से पीड़ित है. आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और दक्षता से आज समझौता किया जाता है, जिससे भारतीय लोकतंत्र की नींव चुनाव की प्रक्रिया की अखंडता को खतरा होगा."
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में नजीब जंग भी शामिल हैं, जिन पर दिल्ली के उपराज्यपाल रहते हुए आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बीजेपी के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाया गया था. इसके अलावा पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और पूर्व योजना आयोग के सचिव एनसी सक्सेना सहित 64 अन्य लोगों के हस्ताक्षर है.