नयी दिल्ली: कांग्रेस ने मोदी सरकार पर देश छोड़कर भागने वाले जालसाजों से मिलीभगत करने का आरोप लगाया और ‘‘हितों के टकराव’’ का दावा करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली के इस्तीफे की मांग की. पार्टी ने कहा कि जेटली की वकील बेटी और दामाद को भगोड़े मेहुल चोकसी से कथित तौर पर 24 लाख रूपये बतौर रिटेनरशिप मिले. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को वित्त मंत्री अरूण जेटली का यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा मांगा कि उनकी बेटी मेहुल चोकसी के ‘‘पे-रोल पर थीं.’’ चोकसी कई करोड़ रुपये के पीएनबी धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी है. जेटली के दामाद ने हालांकि पहले एक बयान जारी कर कहा था कि जैसे ही उनकी लॉ फर्म को कंपनी के घोटाले में संलिप्त होने का पता चला उन्होंने उसी वक्त रिटेनरशिप की रकम लौटा दी थी. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पार्टी सहयोगी राजीव सातव और सुष्मिता देव के साथ अलग से संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जनवरी तक 44 महीनों के कार्यकाल में मोदी सरकार अभूतपूर्व 19,000 ‘बैंक धोखाधड़ी मामलों’ की गवाह बनी जिसमें 90 हजार करोड़ रूपये की रकम का हेरफेर हुआ.
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार की नाक के नीचे से 23 घोटालेबाज देश को 53 हजार करोड़ का चूना लगाकर फरार हो गए. राहुल ने ट्विटर पर आरोप लगाया कि जेटली ‘‘फाइलों को दबाए रखे और उसे (चोकसी) भागने दिया.’’ कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया कि मीडिया ने इस खबर को ‘‘नहीं दिखाया’’ लेकिन देश के लोग इससे अवगत हैं. उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक की खाता संख्या बताई जिससे जेटली की बेटी को कथित तौर पर धन स्थानांतरण हुआ था. उन्होंने ‘अरूण जेटली इस्तीफा दो’ के हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए लिखा, ‘‘अरूण जेटली की बेटी चोर मेहुल चोकसी के पे-रोल पर थीं. बहरहाल उनके वित्त मंत्री पिता फाइल दबाए रखे और उसे भागने दिया.’’
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उन्होंने लिखा, ‘‘उन्हें धन मिला...’’ कांग्रेस प्रमुख ने ट्वीट किया, ‘‘यह दुखद है कि मीडिया ने इस खबर को नहीं दिखाया. देश के लोग इससे अवगत हैं.’’ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि जेटली की बेटी और दामाद दोनों को चोकसी से कथित तौर पर 24 लाख रुपये रिटेनरशिप के रूप में मिला. उनकी बेटी और दामाद दोनों वकील हैं. पायलट ने कहा कि यह सरकार साढ़े चार साल पहले सत्ता में आई, लंबे चौड़े दावे किये और गलत जानकारी के प्रसार की कोशिश की. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन तथ्य यह है कि देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री और उनका पूरा तंत्र आर्थिक आतंकवादियों के संरक्षण के लिये काम कर रहा था. यह सरकार भगोड़ों को संरक्षण देती है और उन्हें सुरक्षित भागने का रास्ता देती है.’’ पायलट ने कहा, ‘‘मेहुल चोकसी के साथ वित्त मंत्री की सांठगांठ, मिलीभगत और हितों के टकराव का अब पर्दाफाश हो गया है.’’
उन्होंने आश्चर्य जताया कि बैंकों से धोखाधड़ी करने वाले कैसे इतनी आसानी से देश से फरार हो गए और कहा कि और जो तथ्य सामने आए कि इन लोगों को किसने भगाया, इस पर सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘‘जब एजेंसियां रेड अलर्ट पर थीं और प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री को मामले की जानकारी थी तो जालसाजों को देश से भागने की इजाजत क्यों दी गई.’’ पायलट ने कहा, ‘‘ये वो लोग हैं जो आधिकारिक रूप से जालसाजों की मदद कर थे, कानूनी रूप से उनकी सुरक्षा देख रहे थे और राजनीतिक रूप से उनको संरक्षण दे रहे थे जिससे वे बच कर भाग जाएं.’’
सुष्मिता देव ने कहा कि पुरानी कहावत है कि ‘सीजर की पत्नी को भी संदेह से ऊपर होना चाहिए’ और इस मामले में तीन लोग हैं जो ‘‘सीजर की पत्नी की स्थिति में हैं- श्री अरूण जेटली जी, उनके दामाद जयेश जो जेटली एंड एसोसिएट्स में भागीदार हैं और उनकी अपनी बेटी सोनाली.’’
तीनों नेताओं ने एक बयान में कहा, ‘‘विजय माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य का एक के बाद एक फरार होना दर्शाता है कि मोदी सरकार ‘जनता के पैसे’ की संरक्षक नहीं बल्कि एक ‘ट्रेवल एजेंसी’ है जो ’धोखाधड़ी करने वालों, धन हथियाने वालों और विदेश जाने वाले ऐसे लोगों को सुविधा देती है जो जानबूझ कर बैंक जालसाजी को अंजाम देते हैं. पायलट ने आरोप लगाया कि वित्त एवं कारपोरेट मामलों के मंत्री रहते अरुण जेटली, उनकी पुत्री सोनाली जेटली और दामाद जयेश बख्शी ने मेहुल चोकसी की फर्जीवाड़े वाली कंपनी गीतांजली जेम्स लिमिटेड से दिसंबर 2017 में 24 लाख रूपये की रिटेनरशिप स्वीकार की. कांग्रेस नेताओं ने एक बयान में पूछा, ‘‘क्या यह वित्त मंत्री के लिये मिलीभगत, सांठगांठ और ‘हितों के टकराव’ का स्पष्ट मामला नहीं है? वित्त मंत्री जेटली, उनकी बेटी या दामाद को सीबीआई/ईडी/एसएफआईओ की तरफ से समन या पूछताछ के लिये क्यों नहीं बुलाया गया?’’
उन्होंने पूछा, ‘‘क्या यह श्री अरूण जेटली को बर्खास्त किये जाने और एक पूरी तरह से स्वतंत्र जांच कराने के लिये सही मामला नहीं है?’’ पायलट और अन्य नेताओं ने यह भी जानना चाहा कि मेहुल चोकसी, नीरव मोदी, गीतांजली जेम्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ प्राथमिकियों और कई शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई.