नई दिल्ली: देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार यानि आज वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए बिहार में पेट्रोलियम क्षेत्र की तीन प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण किया. इसमें पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन का बांका तक विस्तार, बांका में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट और चंपारण में एलपीजी प्लांट का लोकार्पण किया.
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दौरान बिहार के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) के निधन पर उनको नमन भी किया. उन्होंने कहा पहले मुझे एक दु:खद खबर आपके साथ साझा करना है. बिहार के दिग्गज नेता श्रीमान रघुवंश प्रसाद सिंह हमारे बीच नहीं रहे. मैं उनको नमन करता हूं. रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्य पैदा हुआ है. रघुवंश जी जिन आदर्श को लेकर चले थे, जिनके साथ चले, उनके साथ चलना उनके लिए संभव नहीं रहा था.'
एलपीजी प्लांट के लोकार्पण के इस मौके पर बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) भी मौजूद रहे. सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा निर्मित 193 किलोमीटर की दुर्गापुर-बांका पाइपलाइन खंड पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन विस्तार परियोजना का हिस्सा है. प्रधानमंत्री ने 17 फरवरी, 2019 को इसका शिलान्यास किया था.
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बिहार में पेट्रोलियम क्षेत्र की तीन प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसमें पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन का बांका तक विस्तार, बांका में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट और चंपारण में एलपीजी प्लांट का लोकार्पण किया। pic.twitter.com/7yhwR3z1YZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 13, 2020
दुर्गापुर-बांका खंड मौजूदा 679 किलोमीटर की पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर एलपीजी पाइपलाइन का बांका में नई एलपीजी बॉटलिंग संयंत्र तक विस्तार है. 14 इंच व्यास वाली यह पाइपलाइन पश्चिम बंगाल, झारखंड तथा बिहार से गुजरती है.
इस बॉटलिंग संयंत्र का निर्माण 131.75 करोड़ रुपये के निवेश से किया गया है. यह संयंत्र बिहार के भागलपुर, बांका, जमुई, अररिया, किशनगंज और कटिहार जिलों के अलावा झारखंड के गोड्डा, देवघर, दुमका, साहिबगंज तथा पाकुड़ जिलों की जरूरतों को भी पूरा करेगा.
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस संयंत्र की एलपीजी भंडारण क्षमता 1,800 टन और बॉटलिंग क्षमता 40,000 सिलेंडर प्रतिदिन की होगी. इससे बिहार में रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर भी उपलब्ध होंगे.