बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागाठबंधन के बीच इस बार काटें की टक्कर देखी जा रही है. जहां एनडीए की तरफ से JDU और बीजेपी के दिग्गज नेताओं की टीम मैदान में है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के बरिष्ठ नेता और आरजेडी से तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Yadav) ने मोर्चा संभाला है. लेकिन इस बार के चुनाव में आरजेडी के निशाने पर नीतीश कुमार (Nitish kumar) हैं न कि मोदी सरकार. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तेजस्वी लगातार राज्य की सरकार पर हमला कर रहे हैं. वहीं इस बार चुनाव में तेजस्वी यादव उसी राह पर चलते नजर आ रहे हैं जिसपर चलकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार फिर से सत्ता में आई थी. दरअसल तेजस्वी यादव अपनी सभी रैलियों में रोजगार और विकास का मुद्दा उठा रहे हैं.
बता दें कि तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव में सिर्फ शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के मुद्दे को लेकर नीतीश सरकार पर हमला कर रहे हैं. तेजस्वी यादव घर में बिजली है, हर गांव तक सड़क है और बिहार में कानून का राज का मुद्दा लेकर लोगों के बीच पहुंच रहे हैं. तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता के नसों को टटोलने का काम किया है. उन्होंने इससे पहले अपने एक बयान में कहा था कि गांव में बिजली तो पहुंच गई है लेकिन उनकी सरकार सोलार लाईट लगाएगी. इसके अलावा सबसे कारगर उद्दा तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता से वादा किया है कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वे 10 लाख नौकरियां देंगे. यह भी पढ़ें:- Bihar Assembly Election 2020: चिराग पासवान ने CM नीतीश के खिलाफ भरी हुंकार, कहा- सरकार बनी तो घोटाले करने वालों को भेजूंगा जेल.
तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी दल जनता को लुभाने में को कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसके अलावा एक बात और भी देखी जा रही है कि तेजस्वी यादव मोदी सरकार पर कम ही बोल रहे हैं. शायद तेजस्वी यादव को इस बात का आभास है कि केंद्र को मुद्दा बनाकर बिहार की जनता का दिल नहीं जीता जा सकता है. फिलहाल जनता किसे पसंद और किसे नकारती है ये तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे. लेकिन एनडीए ने भी अपना दांव खेल रही है और हुंकार भर रही है कि जनता उन्हें बहुमत देगी.