असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहाद उल मुसलमीन (AIMIM) ने बिहार (Bihar) में अपने आधार का विस्तार करने का फैसला किया है. दरअसल, एआईएमआईएम अब तक सीमांचल क्षेत्र (Seemanchal Region) तक ही सीमित है. एआईएमआईएम की बिहार यूनिट के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान (Akhtarul Imaan) ने कहा कि बिहार को दुखद स्थिति से बाहर लाने में मदद करने के लिए, असदुद्दीन ओवैसी के निर्देशों के बाद पार्टी ने उपचुनाव में उम्मीदवारों को उतारने और साल 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
दरअसल, एआईएमआईएम ने साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान छह सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें कोचाधामन, किशनगंज, रानीगंज, बायसी, अमौर और बलरामपुर सीट शामिल थे. हालांकि इनमें से किसी भी सीट पर एआईएमआईएम जीत दर्ज नहीं कर सकी थी. सीमांचल क्षेत्र में 24 विधानसभा सीटें आती हैं लेकिन एआईएमआईएम ने केवल छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. यह भी पढ़ें- गिरिराज सिंह ने दी सफाई, कहा- नीतीश कुमार बिहार में NDA की तरफ से हैं मुख्यमंत्री, लेकिन इन बातों से होती है तकलीफ.
अख्तरुल ईमान बिहार विधानसभा के पूर्व सदस्य रहे हैं. एआईएमआईएम से पहले वो जेडीयू और आरजेडी में भी रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में अख्तरुल ईमान ने बिहार के किशनगंज सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा. किशनगंज सीट कांग्रेस के खाते में गई जबकि 26.58 फीसदी वोटों के साथ एआईएमआईएम तीसरे नंबर पर रही.
इससे पहले शनिवार को एआईएमआईएम ने आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के अल्पसंख्यकों के उत्थान के अपने वादे को निभाने में विफल रहे. एआईएमआईएम ने विभिन्न सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व पर ‘श्वेत पत्र’ लाने की मांग की. अख्तरुल ईमान ने साल 2015 में सत्ता में लौटने के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन करने के लिए नीतीश कुमार की प्रमुख की आलोचना की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य के अल्पसंख्यकों को यह बताना चाहिए कि उनकी स्थिति सुधारने के लिए उनकी सरकार ने क्या कदम उठाये हैं.