गुवाहाटी: राज्यसभा में कांग्रेस के पूर्व मुख्य सचेतक और अब भाजपा में शामिल हो चुके भुवनेश्वर कालिता (Bhubaneswar Kalita) का आरोप है कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने की केन्द्र की घोषणा के बाद कांग्रेस में पार्टी सदस्यों ने इस बारे में कोई विचारविमर्श नहीं किया. सात अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने की घोषणा कर दी.
संसद के दोनों सदन में इससे संबंधित संकल्प पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने यह घोषणा की. इसके साथ ही केंद्र ने जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में भी बांट दिया. केंद्र सरकार के इस कदम के बाद भाजपा में शामिल हुए कालिता ने रविवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर संसद में कोई भी रुख अपनाने से पहले आपस में चर्चा करते थे.
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उन्होंने कहा "अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए जाने के संबंध में कांग्रेस में कोई चर्चा नहीं हुई. न तो कोई चर्चा हुई और न ही पार्टी की ओर से कोई आदेश दिया गया. मैंने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए जाने का समर्थन अपने निजी स्तर पर किया और मैंने पार्टी को इसकी सूचना भी दे दी थी.
"कालिता ने कहा "नेता विहीन पार्टी बिना किसी चर्चा के आगे बढ़ रही थी और यह स्थिति मेरे लिए असहनीय थी. मैं मुख्य सचेतक था इसलिए मेरे लिए पार्टी की अवज्ञा करना उचित नहीं था. अत: मैंने राज्यसभा से इस्तीफा दिया और अनुच्छेद 370 तथा 35ए को हटाने जाने का समर्थन किया."
राज्यसभा में कालिता का कार्यकाल 9 अप्रैल 2020 को समाप्त होना था. कांग्रेस की असम इकाई के प्रमुख रह चुके कालिता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2014 में देश को मजबूत करने के लिए कई पहलें कीं जिनके परिणाम आज सामने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा "पर्यावरण के मोर्चे पर हो या अंतरराष्ट्रीय संबंध हों या लोगों की जरूरत हो, हमने देखा है कि पिछले पांच साल में कई कदम उठाए गए." कालिता ने यह भी दावा किया कि कई पहलों पर तो कांग्रेस ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार की मदद की. उन्होंने कहा "उदाहरण के लिए तीन तलाक विधेयक पर हमने सरकार की मदद की. इन मुद्दों पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों में चर्चा हुई थी."