Amarinder Singh बनाएंगे नया दल, बीजेपी के साथ गठबंधन पर पंजाब भाजपा प्रभारी ने दिया यह बयान
कैप्टन अमरिंदर सिंह (Photo: PTI)

नई दिल्ली, 30 सितंबर: पंजाब (Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Former CM Amarinder Singh) ने आखिरकार अपने नए राजनीतिक कदम का ऐलान कर ही दिया. अमरिंदर ने यह साफ कर दिया कि वो कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ेंगे क्योंकि वो इस हालात में कांग्रेस के साथ नहीं रह सकते. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वो भाजपा में शामिल होने नहीं जा रहे हैं. इसका मतलब बिल्कुल साफ है कि अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी बनाने जा रहे हैं.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब प्रभारी दुष्यंत गौतम ने अमरिंदर सिंह के इस नए ऐलान पर आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपने विचारों के अनुसार चलने के लिए स्वतंत्र है और यही स्वतंत्रता अमरिंदर सिंह के पास भी है. हालांकि पंजाब की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि चूंकि अमरिंदर सिंह कांग्रेस को छोड़कर नई पार्टी बना रहे हैं और अकाली दल के साथ वो जा नहीं सकते , ऐसे में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उनके पास एक ही पार्टी बचती है और वो है भाजपा. यह भी पढ़े: Punjab Politics: कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले- जहां मेरा अपमान हुआ वहां नहीं रह सकता, लेकिन बीजेपी में जाने का नहीं कोई इरादा

क्या भाजपा अमरिंदर सिंह की नई पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है ? आईएएनएस द्वारा पूछे गए इस सवाल के जवाब में पंजाब प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा कि पहले उन्हें पार्टी तो बनाने दीजिए , फिर देखते हैं कि उनकी पार्टी की विचारधारा क्या रहती है, नीतियां क्या रहती हैं ?इसके साथ ही दुष्यंत गौतम ने यह भी साफ कर दिया है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के हर व्यक्ति के लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं. गौरतलब है कि बुधवार शाम को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अमरिंदर सिंह ने राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया था. हालांकि मुलाकात के बाद उन्होंने स्वयं यह बयान जारी कर कि वो किसानों के मुद्दे पर गृह मंत्री से मिलने गए थे, राजनीतिक कयासों को शांत तो कर दिया था. लेकिन उनके नए राजनीतिक मूव को लेकर लगातार संशय बना हुआ था.

हालांकि गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात कर उन्होंने अपना एजेंडा भी साफ कर दिया है कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तानी प्रेम को लेकर लगातार नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधते रहेंगे और यह मुद्दा भाजपा को भी सूट करता है. ऐसे में भविष्य में सहयोग को लेकर कई दरवाजे तो खुले रहेंगे ही लेकिन फिलहाल दोनों में से कोई भी पक्ष अपने पत्ते पूरी तरह से खोलने को तैयार नहीं है.