राज्यसभा सदस्य और पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह (Amar Singh) का 64 साल की आयु में शनिवार को निधन हो गया. अमर सिंह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और करीब छह महीने से उनका सिंगापुर में इलाज किया जा रहा था. कुछ दिनों पहले ही उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था. शनिवार दोपहर उनका निधन हो गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमर सिंह का सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ इलाज चल रहा था. अमर सिंह के अंतिम समय में केवल उनकी पत्नी ही अस्पताल में थीं.
अमर सिंह अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. अमर सिंह समाजवादी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के करीब थे और शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) से भी उनकी खूब बनती थी. अमर सिंह का उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होती है. उनकी हर एक पार्टी में अच्छी पैठ थी. यह भी पढ़ें: सपा के पूर्व दिग्गज नेता अमर सिंह का निधन, 64 साल की उम्र में ली आखिरी सांस.
अमर सिंह वर्ष 1996 के आसपास समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. मुलायम सिंह के साथ उनके रिश्ते अच्छे थे फिर जल्दी ही पार्टी के महासचिव बना दिए गए. कहा जाता था कि मुलायम सिंह हर काम उनकी सलाह के साथ करते थे. अमर सिंह राजनीति में ताकतवर होते गए. उस समय कहा जाता था कि राजनीति में अमर सिंह के लिए कोई भी काम असंभव नहीं.
न्यूक्लियर डील में बड़ा सहयोग
2008 में भारत की न्यूक्लियर डील में भी अमर सिंह का बड़ा सहयोग रहा है. उस समय जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस लेकर मनमोहन सिंह सरकार को अल्पमत में ला दिया. तब अमर सिंह ने ही समाजवादी सांसदों के साथ साथ कई निर्दलीय सांसदों सरकार के पाले में ला खड़ा किया था.
बड़े सितारों की पार्टी में एंट्री
समाजवादी पार्टी को एक बड़ी राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने का करिश्मा अमर सिंह का ही था. वे ही थे जिन्होंने जया प्रदा को सांसद बनाया. उन्होंने ही जया बच्चन को राज्य सभा में लाया. संजय दत्त को पार्टी में उन्होंने ही शामिल करवाया. उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक समय अमर सिंह की ताकत शीर्ष पर थी.
हालांकि अमर सिंह की कार्यशैली कुछ ही समय में उन्ही पर भारी पड़ गई. संसद में नोटों की गड्ढी लहराने का मामला भी सामने आया. उन्होंने पार्टी के अन्य ताकतवर लोगों को नाराज कर दिया. उनके चलते आजम खान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नजदीकी नेता पार्टी छोड़ गए. नतीजा ये हुआ कि इसके बाद मुलायम सिंह को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी. साल 2010 में पार्टी से निकाल दिया गया.
समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद के उनके दिन मुश्किल भरे रहे. उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप थे. जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इन सब के बीच अमर सिंह ने राजनीति सूझ बूझ दिखाते हुए कांग्रेस में जाने की कोशिश की लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए जिसके बाद उन्होंने निराशा में राजनीति से संन्यास लेने की भी घोषणा की.
अपनी खुद की पार्टी और फिर SP में वापसी
साल 2012 में अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोक मंच नाम की अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाई. उन्होंने अपनी नई पार्टी के साथ 2012 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में शिरकत की लेकिन उनके लगभग सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने राष्ट्रीय लोक दल का साथ पकड़ा. लेकिन लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारे.
इन बुरे दिनों में अमर सिंह को बार फिर समाजवादी पार्टी ने अपनाया. वे साल 2016 में समाजवादी पार्टी में फिर लौटे. राज्य सभा के लिए चुने गए. लेकिन समाजवादी पार्टी के बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में आई तो उन्होंने अमर सिंह किनारे कर दिया. अमर सिंह ने इसके बाद बीजेपी में आने की कोशिश भी की लेकिन ऐसा हो न सका.
अमर सिंह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते थे. इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि उन्होंने शनिवार को पहले स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांचलि दी. अपने एक ट्वीट में उन्होंने ईद अल-अजहा की बधाई भी दी. अमर सिंह के प्रोफाइल को देखकर लगता है कि वह बीमार होने के बावजूद सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय थे.