प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 25वें कारगिल विजय दिवस के मौके पर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पहुंचकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. द्रास केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में बसा कस्बा है. इसे लद्दाख का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है.
कारगिल युद्ध के जांबाजों की याद में आज द्रास में यह कार्यक्रम हुआ. हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. लेकिन इस बार कारगिल दिवस की रजत जयंती (25 साल) होने के कारण यह कार्यक्रम खास है. इसमें बड़ी संख्या में कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुर जवानों के परिजन, वीरता पुरस्कार विजेता और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
PM Modi Attends Kargil Vijay Diwas 2024 Shradhanjali Samaroh- Live
3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक, कारगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐसी जंग लड़ी जिसने दुनिया को हैरान कर दिया था, लेकिन यह युद्ध कैसे शुरू हुआ? 1999 से पहले, भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता था - दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी सीमाओं पर बर्फबारी वाले क्षेत्रों में नहीं जाएँगे. यह समझौता "लाइन ऑफ कंट्रोल" (LoC) के नाम से जाना जाता था, जो भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा थी.
हालांकि, पाकिस्तान ने इस समझौते का उल्लंघन किया और अपने सैनिकों को चुपके से भारत की सीमा में घुसपैठ कराने का काम किया. ये सैनिक दुश्मन बनकर भारत के क्षेत्र में चढ़ गए, जिसमें ड्रास, टाइगर हिल और कारगिल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल थे. पाकिस्तान ने लगभग 134 किलोमीटर के क्षेत्र पर अपना कब्जा कर लिया था.
यह युद्ध बहुत ही कठिन और खतरनाक था. बर्फबारी, बर्फीले पहाड़, और दुश्मन का सामना भारतीय सैनिकों के लिए एक कठिन चुनौती थी. तीन महीनों तक चले इस युद्ध में, भारत ने 527 शहीदों को खोया, और 1363 सैनिक घायल हुए, लेकिन भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता और बहादुरी का परिचय दिया. उन्होंने दुश्मन का सामना करने के लिए सब कुछ दिया और अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए लड़ते रहे. कारगिल युद्ध के माध्यम से, भारतीय सैनिकों ने दुनिया को साबित किया कि वे कितने बहादुर और देशभक्त हैं. आज हम कारगिल विजय दिवस के माध्यम से उन सैनिकों को याद करते हैं जिन्होंने अपनी जान देश के लिए कुर्बान की थी.