'भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाया तो हम उसे तबाह कर देंगे', पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की गीदड़भभकी

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर भारत के खिलाफ उकसाऊ बयान देते हुए शुक्रवार को धमकी दी कि यदि भारत सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करता है और सिंधु नदी पर कोई बांध निर्माण करता है, तो पाकिस्तान उस पर हमला करेगा. यह बयान जिओ न्यूज की एक रिपोर्ट में सामने आया है, जिसने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है.

ख्वाजा आसिफ का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है. इस हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत और घायलों की संख्या ने पूरे देश को झकझोर दिया. इसके जवाब में भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है.

भारत द्वारा लिए गए इस कड़े कदम के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है. ख्वाजा आसिफ का यह बयान न सिर्फ कूटनीतिक तौर पर बचकाना प्रतीत होता है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरे की घंटी है. पाकिस्तान एक ओर तो दुनिया भर से समर्थन और मदद मांग रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत को लगातार परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा है.

क्या है सिंधु जल समझौता?

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसके तहत छह प्रमुख नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज — का जल वितरण किया गया था. समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का उपयोग करने का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) से पानी लेने का प्राथमिक अधिकार दिया गया.

लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकवाद को समर्थन दिए जाने के चलते भारत में इस समझौते की समीक्षा की मांग लंबे समय से हो रही थी. अब जब भारत ने इस समझौते को रद्द करने का संकेत दिया है, तो पाकिस्तान की घबराहट और धमकियों का दौर शुरू हो गया है.

भारत की सख्त नीति

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा. पाकिस्तान अगर आतंकवादियों को संरक्षण देना बंद नहीं करता, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सिंधु जल समझौते को रद्द करना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके.

पाकिस्तान की ओर से बार-बार दी जा रही परमाणु हमले की धमकियां और युद्ध की चेतावनियां उसकी हताशा को दर्शाती हैं. भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है और वह शांति का समर्थक है, लेकिन उसकी सहनशीलता की भी एक सीमा है. यदि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता, तो भारत को भी कड़ा रुख अपनाने में देर नहीं लगेगी.

img