
22 अप्रैल 2025 – ये तारीख जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के लिए एक ऐसा काला दिन बन गई, जिसे शायद ही देश कभी भूल पाए. एक तरफ जहां बायसरन घाटी की खूबसूरत वादियाँ पर्यटकों को सुकून दे रही थीं, वहीं दूसरी ओर दोपहर 2:45 बजे आतंक की ऐसी लहर उठी कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.
क्या हुआ था पहलगाम में?
आतंकियों ने अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. चंद मिनटों में 26 मासूम लोगों की जान चली गई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए. हमले के अगले दिन से ही जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू हुई. भारत-पाक रिश्ते और बिगड़ गए. बॉर्डर बंद, वीजा रद्द, पाकिस्तान से आयात-निर्यात पर रोक — भारत ने हर स्तर पर सख्त रुख अपनाया.
7 मई को भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए. 10 मई को इन हमलों का तीसरा चरण चला, जिसमें पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया गया.
ताइवान ने दिया भारत का साथ
ऐसे तनावपूर्ण माहौल में ताइवान ने भारत का खुलकर समर्थन किया. ताइवान सरकार ने कहा कि वो सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की कड़ी निंदा करती है और भारत की हर कार्रवाई के साथ खड़ी है.
'Express firm support for all legitimate & necessary actions taken by the govt of India to safeguard national security & fight terrorist forces that cross borders to attack innocent civilians...'
Says Taiwan on India's Operation Sindoor
Full Statement: pic.twitter.com/ses8GKEQdV
— Sidhant Sibal (@sidhant) May 15, 2025
ताइवान ने साफ शब्दों में कहा—आतंकवाद को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो भी कदम उठाने हों, वह उठाने का पूरा अधिकार है.
चीन को क्यों लगी मिर्ची?
चीन को ताइवान का यह बयान नागवार गुजरा. ताइवान और भारत के नजदीक आते रिश्ते पहले ही चीन को चुभ रहे थे. अब जब ताइवान ने भारत के आतंकरोधी कदमों का समर्थन कर दिया, तो चीन की बौखलाहट और बढ़ गई. दरअसल, चीन खुद पाकिस्तान का घनिष्ठ सहयोगी है और कश्मीर मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा है. ऐसे में ताइवान का भारत की पीठ थपथपाना चीन के लिए "घाव पर नमक" रगड़ने जैसा है.
क्या संदेश गया दुनिया को?
ताइवान के समर्थन से ये साफ हो गया है कि अब भारत के खिलाफ होने वाले आतंकवादी हमलों पर दुनिया चुप नहीं बैठने वाली. अमेरिका, रूस, जापान जैसे देशों ने पहले ही हमले की निंदा की थी, और अब ताइवान जैसे देश भी खुलकर भारत के साथ खड़े हो रहे हैं.
पहलगाम हमला सिर्फ गोलियों और मौतों की कहानी नहीं है. यह देश की सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता, और एकता की परीक्षा थी. भारत ने इसका जवाब भी उसी अंदाज़ में दिया—कूटनीतिक, सैन्य और सामाजिक स्तर पर. और अब जब ताइवान जैसे देश साथ खड़े हैं, तो ये एक कड़ा संदेश है—भारत अकेला नहीं है.