Sawalkote Hydroelectric Project: भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी में है. यह प्रोजेक्ट चेनाब नदी पर बनाया जाएगा. खास बात यह है कि यह फैसला सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित करने के कुछ हफ्तों बाद आया है. इस विशाल 1856-मेगावाट के प्रोजेक्ट के लिए अब पाकिस्तान से कोई इजाज़त नहीं ली जाएगी, जबकि संधि के तहत पहले यह ज़रूरी था.
क्या है यह प्रोजेक्ट?
इस प्रोजेक्ट का नाम सवाकोट हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Sawalkote Hydroelectric Project) है. नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) ने इसके लिए टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह NHPC और जम्मू-कश्मीर के पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का एक जॉइंट वेंचर है. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत ₹22,704 करोड़ है और इसे दो चरणों में बनाया जाएगा.
40 साल से अटका था मामला
यह प्रोजेक्ट 1980 के दशक में सोचा गया था, लेकिन पिछले 40 सालों से अटका हुआ था. इसके पीछे कुछ प्रक्रियात्मक देरी और पाकिस्तान का विरोध मुख्य कारण थे. पाकिस्तान को हमेशा यह चिंता रहती थी कि इस बांध के बनने से चेनाब नदी के बहाव पर असर पड़ेगा.
क्या है सिंधु जल संधि का मामला?
आपको बता दें कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को तब तक के लिए निलंबित कर दिया था, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह से छोड़ नहीं देता.
1960 में विश्व बैंक की मदद से हुई इस संधि के तहत, भारत को ब्यास, सतलज और रावी नदियों के पानी पर पूरा अधिकार मिला था. वहीं, पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी मिला था. हालांकि, भारत को चेनाब जैसी नदियों पर 'रन-ऑफ-द-रिवर' प्रोजेक्ट (यानी नदी के बहाव को ज़्यादा रोके बिना बिजली बनाने वाले प्रोजेक्ट) बनाने की इजाज़त थी, लेकिन इसके लिए प्रोजेक्ट के डिज़ाइन और ऊंचाई पर पाकिस्तान की सहमति लेनी पड़ती थी. अब भारत बिना किसी रोक-टोक के यह प्रोजेक्ट बनाएगा.
प्रोजेक्ट की आगे की राह
यह प्रोजेक्ट BOOT मॉडल (बिल्ड, ओन, ऑपरेट एंड ट्रांसफर) पर आधारित होगा. इसका मतलब है कि NHPC इसे बनाएगी, इसका मालिकाना हक़ रखेगी, इसे चलाएगी और 40 साल बाद इसे पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर को सौंप देगी. सरकार ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के रास्ते में आने वाली कई रुकावटों को भी दूर कर दिया है. हाल ही में, पर्यावरण मंत्रालय ने प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए लगभग 3000 एकड़ जंगल की ज़मीन के ट्रांसफर को भी मंजूरी दे दी है.
इस प्रोजेक्ट के निर्माण से लगभग एक दर्जन गांव प्रभावित होंगे. इन गांवों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को दूसरी जगह बसाने की योजना भी प्रोजेक्ट का हिस्सा है.