नई दिल्ली: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला देश को झकझोर देने वाला था. अब जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में सामने आया है कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों ने तीन और जगहों की रेकी की थी. अरू वैली, एक मनोरंजन पार्क और बेटाब वैली. इन तीनों जगहों को आतंकियों ने पहले टारगेट किया था, लेकिन वहां सुरक्षाबलों की मौजूदगी के चलते वे हमला नहीं कर सके. ऐसे में उन्होंने बैसरन वैली को चुना, जहां सुरक्षा कम थी.
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बैसरन में दो दिन तक छिपे रहे आतंकी
सूत्रों के अनुसार, आतंकी हमले से दो दिन पहले ही बैसरन वैली में पहुंच गए थे. यह इलाका टूरिस्ट्स के बीच काफी लोकप्रिय है, लेकिन वहां सुरक्षा व्यवस्था उतनी सख्त नहीं थी. इसी का फायदा उठाकर आतंकियों ने हमला किया.
OGW यानी ओवरग्राउंड वर्कर्स की भूमिका
जांच एजेंसियों ने यह भी पाया है कि आतंकियों को चार ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) ने रेकी करने में मदद की थी. ये लोग स्थानीय स्तर पर आतंकियों को जानकारी, रास्ते और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का काम करते हैं. अब तक करीब 20 OGWs की पहचान हो चुकी है, जिनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है. 186 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
हमला जिसने इंसानियत को शर्मसार किया
22 अप्रैल को आतंकियों ने पहलगाम में टूरिस्ट बसों पर अंधाधुंध फायरिंग की. इस हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. हमले से बचे लोगों ने बताया कि आतंकी पहले टूरिस्ट्स के नाम और धर्म पूछते थे. जो लोग हिंदू निकले, उन्हें गोली मार दी गई. जिन लोगों ने खुद को मुसलमान बताया, उनसे कलमा पढ़ने को कहा गया.
यह सुनियोजित हमला न सिर्फ एक आतंकवादी घटना थी, बल्कि धार्मिक आधार पर की गई निर्ममता थी, जिसने पूरे देश को आक्रोशित कर दिया.
जांच एजेंसियों का कहना है कि यह हमला पूरी तरह से पूर्व-नियोजित (Pre-planned) था और इसके पीछे एक बड़ी आतंकी साजिश हो सकती है. सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में तेजी से कार्रवाई कर रही हैं.













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