ओमिक्रॉन (Omicron) वेरिएंट को लेकर दुनियाभर में दहशत का माहौल है. कोरोना (COVID-19) के इस नए वेरिएंट को डेल्टा समेत अन्य दूसरे वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक माना जा रहा है. इस वेरिएंट की दस्त के साथ ही देश में तीसरी लहर का खतरा बढ़ गया है. भारत के कई राज्यों में नए वेरिएंट की एंट्री हो चुकी है. कई विशेषज्ञों का मानना है की इस वेरिएंट पर कोरोना वैक्सीन भी असरदार नहीं है. नया वेरिएंट दोनों वैक्सीन डोज ले चुके लोगों को भी चपेट में ले सकता है. मानव जाति के लिए और खतरनाक हो सकता है कोरोना के बाद आने वाला वायरस, AstraZeneca वैक्सीन बनाने वाली वैज्ञानिक Sarah Gilbert ने चेताया.
इन सब के बीच ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन (GSK.L) ने दावा किया है कि प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चला है कि उसकी एंटीबॉडी दवा नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रभावी है. जीएसके ने सोट्रोविमैब (Sotrovimab) को यूएस पार्टनर Vir Biotechnology (VIR.O) के साथ विकसित किया, जो मानव द्वारा पहले से बनाए गए प्राकृतिक एंटीबॉडी पर आधारित एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है.
कंपनी ने दावा किया की ओमिक्रॉन के जो 37 म्यूटेशन हैं, उसके खिलाफ उनकी दवाई सोट्रोविमैब ने प्रभावी काम किया है. कंपनी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि ये दवा कोरोना के हर वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी काम करती है.
WHO ने ओमिक्रॉन को 'वेरिएंट ऑफ कन्सर्न' श्रेणी में रखा गया है. इसका मतलब यह है कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार को लेकर चिंता जताई गई है और आने वाले दिनों में इस पर खास नजर रखी जाएगी. विशेषज्ञों की मानें तो इस नए वेरिएंट से पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. हालांकि उम्मीद यह भी है की यह अधिक खतरनाक न हो.