अब जलमार्ग से भी हो सकेगा किसानों के फलों-सब्जियों का निर्यात, विकिरण पद्धति से एक महीने तक नहीं होगा खराब
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

भारत से हर साल बड़ी मात्रा में बागवानी फलों और खाद्य पदार्थों का दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है. ऐसे में कई बार कुछ फल ऐसे होते हैं, जो ज्यादा दिन तक नहीं रह पाते हैं, जिनका निर्यात जल्द से जल्द करना होता है. लेकिन अब इन वस्तुओं की शेल्फ लाइफ बढने नई तकनीक की खोज की गई है. जिसके बाद अमेरिका को निर्यात होने वाले फलों के राजा आम, अनार, प्याज. आलू समेत कई फलों और सब्जियों को अब जलमार्ग से भी भेजा जा सकेगा. इससे सबसे ज्यादा किसानों को लाभ होगा और उनकी आय में भी इजाफा होगा. यह भी पढ़े: CM योगी के अथक प्रयासों का असर , अब सब्जी और फलों के Export का हब बनेंगे वाराणसी और अमरोहा, किसानों की बल्ले-बल्ले

25 दिन बाद भी आम हाथों-हाथों बिका:

दरअसल, विकिरण पद्धति की मदद से आम की शेल्फ लाइफ बढ़ने के कारण इसे अब जलमार्ग से भी भेजने की शुरुआत की जा रही है. हाल ही में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) ने 16 टन आम जलमार्ग से भेजा, जो 25 दिन में वहां पहुंचा. बार्क के मुताबिक सभी आम ठीक थे और वहां के लोगों ने केसर आम को हाथों-हाथ लिया. इस ट्रायल के बाद अब जलमार्ग से फलों और अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात का रास्ता खुल गया है. आने वाले दिनों में अनार सहित कई और फलों को भी अमेरिका जलमार्ग से भेजा जाएगा.

रुकेगी खाद्यान्नों की बर्बादी:

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि विकिरण के माध्यम से आम सहित कई खाद्य सामग्रियों का शेल्फ लाइफ को बढ़ाया जा सकता है: देश में तकरीबन 30-40 प्रतिशत खाद्यान्नों का भंडारण सही तरीके से नहीं होने के कारण अनाज, फल सब्जियां खराब हो जाती हैं: विकिरण तकनीक खाद्यान्नों की बर्बादी को रोकने में बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है: इससे आलू, प्याज के अंकुरण को रोका जा सकता है, जिससे 7-8 महीने तक इसे 15 डिग्री तापमान में भी रखा जा सकता है:  शेल्फ लाइफ बढने किसानों को लाभ होगा.

भंडारण के मुकाबले खाद्यानों का रखरखाव आठ गुना कम:

वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि विकिरण तकनीक के कई लाभ हैं: एक तो इससे अनाज जल्दी खराब नहीं होते, दूसरा भंडारण के मुकाबले खाद्यानों के रखरखाव पर होने वाले खर्च में भी आठ गुना कमी हो सकती है। हालांकि लोगों की आवश्यकताओं को देखते हुए रेडिएशन केन्द्रों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए।

विकिरण पद्धति से खर्च एक से दो रुपये प्रति किलो:

उन्होंने बताया कि अनाज और दालों में जो कीड़े की समस्या होती है, उसे भी रोका जा सकता है. मसालों में फफूंदी की समस्या या सड़ने की समस्या को भी विकिरण से दूर किया जा सकता है. इससे एक साल तक शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ इसी विकिरण तकनीक से अनाज की नई किस्में भी तैयार की जा रही है जिससे खाद्य उत्पादन बढ़ रहा है। बार्क ने अबतक 56 किस्में विकसित की है: विकिरण पद्धति से खर्च भी एक से दो रुपये प्रति किलोग्राम आता है.

बता दें कि देश में 25 रेडिएशन प्लांट में विकिरण पद्धति से खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा रही है। इसमें से चार सरकार द्वारा संचालित हैं। एक रेडिएशन प्लांट स्थापित करने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये का खर्च आता है.