निर्भया गैंगरेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका खारिज करने के खिलाफ दोषी मुकेश कुमार की अपील ठुकराई
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credit- IANS)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषी मुकेश कुमार सिंह (Mukesh Kumar Singh)  की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी अपील बुधवार को खारिज कर दी और कहा कि इस पर ‘त्वरित विचार और फटाफट फैसले’ का यह अर्थ नहीं निकलता कि इसमें सोच-विचार नहीं किया गया या पूर्वाग्रह से फैसला किया गया है।शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में अदालतों द्वारा दिये गये फैसलों, दोषी की आपराधिक पृष्ठभूमि, उसके परिवार की आर्थिक हालत समेत सभी दस्तावेजों पर राष्ट्रपति ने विचार किया और इसे खारिज किया.

न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत पारित आदेश की न्यायिक समीक्षा की मांग के लिए जेल में कथित रूप से पीड़ा सहने को आधार नहीं बनाया जा सकता. पीठ ने कहा, ‘‘परिणाम स्वरूप हमें याचिकाकर्ता (मुकेश) की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश के न्यायिक पुनर्विचार के लिए कोई आधार नजर नहीं आता और यह याचिका खारिज होने के लायक है.’’ यह भी पढ़े: निर्भया गैंगरेप: फांसी रुकवाने के लिए दोषी मुकेश के बाद अब अक्षय भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, दाखिल की क्यूरेटिव पिटीशन

उन्होंने ने कहा कि निचली अदालत, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय मामले में पहले ही डीएनए और ओडोंटोलॉजी रिपोर्ट, मृत्यु पूर्व बयान, केस डायरी और आरोपपत्र समेत सभी दस्तावेजों पर विचार कर चुके हैं और मुकेश की दलील को पहले ही खारिज किया जा चुका है. इससे पहले, दोषी मुकेश कुमार सिंह की ओर से उसके वकील ने दावा किया था कि उसकी दया याचिका पर विचार के समय राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गये।पीठ ने केन्द्र द्वारा मंगलवार को पेश की गई दो फाइलों का जिक्र करते हुए कहा कि 15 जनवरी को दिल्ली सरकार द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे गए पत्र के अनुसार सभी प्रासंगिक दस्तावेज पेश किए गए.

पीठ ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सभी दस्तावेजों पर गौर किया। ’’पीठ ने दोषी के वकील की दलीलों पर भी गौर किया, जिसमें कहा गया था कि दया याचिका जल्दबाजी में खारिज की गई।इस पर पीठ ने कहा कि अगर दया याचिका शीघ्र भी खारिज की गई तो ऐसा माना नहीं जा सकता कि पूर्व-निर्धारित सोच के आधार पर निर्णय लिया गया।दिल्ली में दिसम्बर 2012 में हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी.

इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी मुकेश की दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों -मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार, को एक फरवरी को सुबह छह बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के आदेश पर अमल के लिये आवश्यक वारंट जारी किये थे।इससे पहले अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने के लिये वारंट जारी किये थे.