मैसूर: एक मजदूर तीन दिन पहले अपने 10 साल के विकलांग बेटे के लिए दवाई लेने के लिए 300 किलोमीटर साइकिल से सफर करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि टी नरसीपुरा तालुक (T Narasipura Taluka) के गनीगरा कोप्पलु गांव (Ganigara Koppalu Village) के निवासी 45 वर्षीय आनंद ने बेंगलुरु (Bengaluru) से दवाएं लाने का कठिन काम किया. ख़बरों के अनुसार आनंद के बेटे का मानसिक परेशानी है, और उसका वर्षों से निमहंस (NIMHANS) में इलाज चल रहा था. चूंकि उनके पास दवाएं खत्म हो गई थीं जो स्थानीय फार्मेसियों में उपलब्ध नहीं थीं, लॉकडाउन के बाद उन्हें दवा लेने के लिए अस्पताल पहुंचने के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं मिला. इसलिए उन्हें साइकिल से बेगलुरु जाना पड़ा. यह भी पढ़ें: Maharashtra Unlock: मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई जिलों में आज से बदले लॉकडाउन के नियम, जानें किन जिलों में क्या खुला-क्या बंद
उन्होंने गांव के कुछ बाइकर्स से संपर्क किया, लेकिन लॉकडाउन में बाइक जब्त होने के डर से उन्होंने मना कर दिया. इसलिए उन्हें साइकिल से दवाई लाने के ली मजबूर होना पड़ा. उन्होंने बेंगलुरू पहुंचने के लिए बन्नूर (Bannur) मालवल्ली (Malavalli), कनकपुरा (Kanakapura) होते हुए गांव से 150 किलोमीटर की दूरी तय की.
देखें ट्वीट:
Karnataka: A 45-year-old Anand, a resident of Koppalu village in Mysore cycles 300 km to Bengaluru to bring his son's medicine
"I asked for my son's medicines here but couldn't find it. He can't skip medicines even for a day. I went to Bengaluru & it took me 3 days," says Anand pic.twitter.com/nnAUBIBqna
— ANI (@ANI) June 1, 2021
वह कनकपुरा के एक मंदिर में रुके थे. सुबह-सुबह उन्होंने फिर सफर शुरू किया और निमहंस पहुंचकर दवाइयां लीं, शाम 4 बजे तक गांव पहुंच गए. उन्होंने कहा कि निमहंस के डॉक्टर ने उन्हें साइकिल से आने की बात सुनकर 1000 रुपये दिए. आनंद ने संवाददाताओं से कहा कि यदि उनका बेटा दवा बंद कर देता है, तो उसे कुछ और वर्षों तक और दवा जारी रखनी पड़ेगी.