जबलपुर: मध्य प्रदेश की पहली मंत्रिपरिषद की बैठक जबलपुर में हुई, इस बैठक में फैसला लिया गया है कि ग्वालियर में लगने वाले व्यापार मेला में वाहनों की खरीदी पर मोटर यान कर में 50 फीसदी की छूट दी जाएगी, वहीं तेंदूपत्ता की संग्रहण दर तीन हजार रुपये मानक बोरा से चार हजार रुपये होगी. मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में ग्वालियर व्यापार मेले को व्यापक स्वरूप देने और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए मोटरसाइकिल, मोटर कार तथा हल्के वाहनों के विक्रय पर नियमों के अधीन मोटरयान कर की दर पर 50 फीसदी की छूट देने का निर्णय लिया गया है. इस निर्णय से ग्वालियर व्यापार मेले में व्यापार, पर्यटन एवं औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.
ग्वालियर व्यापार मेला मध्यप्रदेश के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध व्यापार मेलों में से एक है। इस मेले ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर ली है। ग्वालियर व्यापार मेले में ग्वालियर चंबल क्षेत्र और आस-पास के राज्यों से लाखों लोग आते है। मंत्रिपरिषद ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। तेंदूपत्ता संग्रहण की दर तीन हजार रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर चार हजार रुपये प्रति मानक बोरा की गई है। इस निर्णय से प्रदेश के 35 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को लगभग 165 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पारिश्रमिक प्राप्त होगा. यह भी पढ़े: MP की कमान संभालते ही मोहन यादव का बड़ा फैसला, मापदंड से ज्यादा तेज बजने वाले ध्वनि-विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध
पहले के वर्षों में तेंदूपत्ता संग्रहण दर एक हजार 250 रुपये प्रति बोरा थी. वर्ष 2022 से इसे बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रति बोरा की गई थी। अब तेंदूपत्ता संग्रहण दर चार हजार रुपये प्रति बोरा कर दिया गया है। इसी तरह श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू करने का निर्णय लिया है। योजना के अंतर्गत श्रीअन्न - कोदो-कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा आदि के उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति किलो 10 रुपये दिए जाएंगे. यह राशि सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक नई मिलेट क्रांति का शुभारंभ किया है। उनकी पहल पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। मंत्रिपरिषद ने मध्यप्रदेश में बुनियादी सिंचाई सुविधाओं का विकास करने की दृष्टि से और सिंचाई का रकबा बढ़ाने के लिए 32 हजार करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण की कार्यवाही की अनुमति दी है.