मन्या सुर्वे एनकाउंटर: मुंबई पुलिस इतिहास का अहम मोड़, जानें वडाला मुठभेड़ की कहानी
(प्रतिकात्मक तस्वीर)

Manya Surve Encounter: मुंबई में पहला आधिकारिक पुलिस एनकाउंटर 11 जनवरी 1982 को वडाला में हुआ था, जिसमें कुख्यात अपराधी और अंडरवर्ल्ड डॉन मन्या सुर्वे को पुलिस ने मार गिराया था. इस घटना को न केवल मुंबई का पहला बल्कि पूरे भारत का पहला आधिकारिक पुलिस एनकाउंटर माना जाता है. आइए इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं:

मन्या सुर्वे: परिचय और आपराधिक पृष्ठभूमि

मन्या सुर्वे, जिनका असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था, मुंबई में 1970 और 80 के दशक के सबसे खतरनाक अपराधियों में से एक थे. वे कीर्ति कॉलेज के छात्र थे, मगर परिवार की परिस्थितियों के कारण वे अपराध की दुनिया में आए. उन्होंने कई गैंग बनाकर मुंबई में प्रभाव जमाया और उनके अपराधों में बड़ी लूट, हत्या, और गैंगवार शामिल थे. खासतौर पर दाऊद इब्राहिम के परिवार के खिलाफ उनकी दुश्मनी प्रसिद्ध थी. मन्या ने दाऊद के भाई की हत्या भी की थी, जिससे उनकी दुश्मनी और गहरी हो गई.

पुलिस की कार्रवाई और मुठभेड़ की तैयारी

मान्या सुर्वे के बढ़ते आतंक के कारण मुंबई पुलिस की खुफिया एजेंसियां उनकी लगातार तलाश में लगी थीं. जून 1981 में उनके साथी शेख मुनीर को गिरफ्तार किया गया, जबकि अन्य साथियों दयानंद शेट्टी और काटकर को भी पुलिस ने पकड़ लिया. मान्या खुद भिवंडी में किसी छिपे हुए स्थान पर छुपा था लेकिन पुलिस से बचता रहा.

पुलिस ने मन्या की महिला दोस्त विद्या जोशी पर नजर रखी और सूचना मिली कि वह 11 जनवरी 1982 को वडाला के आंबेडकर कॉलेज के पास अपनी गर्लफ्रेंड को लेने आ सकता है. तब मुंबई पुलिस ने एक स्पेशल इकाई गठित की, जिसमें इंस्पेक्टर इशाक बागवान और राजा तांबट जैसे तेजतर्रार अधिकारी थे, जिन्होंने मान्या को पकड़ने का जिम्मा संभाला. पुलिस ने सिविल ड्रेस में छिपकर कॉलेज के आसपास छापा मारने की योजना बनाई.

वडाला एनकाउंटर की घटना

11 जनवरी 1982 को मान्या सुर्वे अपने प्रेमिका से मिलने वडाला आए. जैसे ही पुलिस ने उन्हें नजदीक से देखा, मान्या ने अपनी रिवाल्वर निकाली और फायरिंग शुरू कर दी. इस जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी फायरिंग की और उन्हें घायल कर दिया. घायल मान्या बाद में अस्पताल में मौत को प्राप्त हुए. बताया जाता है कि पुलिस को मान्या को पकड़ने का नहीं, बल्कि उसे ढेर करने का मौखिक आदेश दिया गया था. इस मुठभेड़ के बाद पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के अपराधियों के खिलाफ ऐसी नीतियों को और भी तेज कर दिया.

इसका प्रभाव और इतिहास में महत्व

वडाला एनकाउंटर के बाद मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन जैसे अपराधियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाइयों में तेजी आई. 1982 से लेकर 2004 तक मुंबई में 662 अपराधियों को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. ये एनकाउंटर पुलिस और अंडरवर्ल्ड के बीच के संघर्ष का एक नया अध्याय था. मान्या सुर्वे की मौत ने मुंबई के अपराध जगत से एक बड़े खतरे को खत्म कर दिया था और पुलिस की छवि को भी मजबूती दी. इस घटना पर कई फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज भी बनी हैं, जैसे कि "शूटआउट एट वडाला."

निष्कर्ष

मुंबई का पहला आधिकारिक पुलिस एनकाउंटर 11 जनवरी 1982 को वडाला में मन्या सुर्वे के साथ हुआ, जिसने पूरे देश में पुलिस की मुठभेड़ नीति की शुरुआत की. यह घटना मुंबई पुलिस के इतिहास में और भारतीय पुलिस व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने अपराध नियंत्रण के तरीके को पूरी तरह बदल दिया.

यह खबर Latestly AI से लिखा गया है.