मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: प्रचार में छाया नोटबंदी का मुद्दा, बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने
राहुल गांधी और पीएम मोदी (Photo Credit: PTI)

भोपाल: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रचार के दौरान दो साल पहले की गई 'नोटबंदी' को एक बार फिर मुद्दा बनाया जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक-दूसरे पर हमले बोल रहे हैं. चुनावी रैलियों में राहुल जहां नोटबंदी कर गरीबों को परेशान किए जाने और अमीरों को कालाधन सफेद करने का मौका दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी तर्क दे रहे हैं कि नोटबंदी से लोगों के पास दबा पैसा बैंकों में लौट आया और उसी रकम से विकास कार्य किए जा रहे हैं.

राज्य में चुनावी प्रचार जोरों पर है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने दो और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने तीन जनसभाओं को संबोधित किया. दोनों नताओं ने एक-दूसरे पर हमले करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

राहुल ने जहां नोटबंदी को देश का 'सबसे बड़ा घोटाला' बताया तो वहीं जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी परिवार और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, "जिनकी चार पीढ़ी की जमा रकम निकल आई, वे अब भी रोए जा रहे हैं."

कांग्रेस अध्यक्ष ने सागर जिले के देवरी, सिवनी के बरघाट और मंडला में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी के चलते गरीब, मजदूर, किसान व छोटे कारोबारियों को अपने ही पैसे के लिए तरसा दिया गया, बैंकों के आगे लाइन में लगा दिया गया और कालेधन वालों को हजारों करोड़ रुपये लेकर देश से भागने का मौका दे दिया गया. यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव 2018 : भारतीय जनता पार्टी ने 53 बाघी नेताओं को पार्टी से निकाला

राहुल ने जनता से पूछा कि नोटबंदी के बाद किसी सूट-बूट वाले को लाइन में लगे देखा? तो जनता से जवाब मिला 'नहीं.' उन्होंने कहा कि गरीब जनता की जेब से पैसे निकालकर अमीरों की जेब में डाल दिए गए, मेहुल चोकसी जो रकम लेकर भागा, उसने अरुण जेटली की बेटी के खाते में पैसे डाले, विजय माल्या 10 हजार करोड़ रुपये लेकर भागने से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली से संसद में मिला.

राहुल ने प्रधानमंत्री और राज्य सरकार पर हमले की शुरुआत की तो प्रधानमंत्री मेादी ने राहुल के आरोपों का अपने ही अंदाज में जवाब दिया. उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने चार पीढ़ी तक रकम कमा कर रखी थी, आज वही लोग आंसू बहा रहे हैं, यहां मौजूद लोगों में किसी को अब परेशानी हो रही हो या कोई रो रहा हो तो बताएं। पहले परेशानी होगी, यह तो मैंने सार्वजनिक तौर पर भी कहा था."

उन्होंने आगे कहा, "नोटबंदी से अकेली कांग्रेस रो रही है, एक परिवार रो रहा है, क्योंकि उनका चार पीढ़ी का जमा किया गया धन चला गया, इसलिए रो रहे हैं, आंसू नहीं सूख रहे. अगर जवान बेटा मर जाता है तो बूढ़ा बाप साल भर में संभल जाता है, मगर इनका (गांधी परिवार व कांग्रेस) कितना लुट गया होगा, जो दो-तीन साल बाद भी अभी संभल नहीं पा रहे हैं."

इस मुद्दे पर मनोचिकित्सक डॉ. रोमा भट्टाचार्य का कहना है कि किसी भी घटना को बार-बार याद दिलाना इंसान के लिए अच्छा नहीं होता. जब किसी को बुरे दिन याद दिलाए जाते हैं तो उसे मानसिक आघात पहुंचता है. जब भी समाज में बड़ा बदलाव आता है तो व्यक्ति चार चरणों से गुजरते हुए स्वीकारने की स्थिति में आ जाता है, मगर फिर उन दिनों को याद दिलाया जाता है तो यादें ताजा हो जाती हैं. यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018: गुरुवार से 6 दिन के चुनावी दौरे पर अमित शाह

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर भी ऐसा ही है. शुरू में हर किसी को परेशानी हुई थी, बाद में लोग संभलने लगे. अब फिर नोटबंदी पर बयानबाजी तेज हो गई है, जिससे लोगों को पुराने दिन याद आने लगे हैं.

डॉ. रोमा का कहना है, "जब नोटबंदी की गई थी तो लोग शॉक्ड थे, धीरे-धीरे वक्त गुजरने के साथ समाज ने नोटबंदी को स्वीकार कर लिया, मगर अब जो हो रहा है, वह लोगों के मन में पुराने समय को याद दिला रहा है, यह समस्या से गुजरे लोगों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है."

नोटबंदी को लेकर नेताओं की जुबानी जुगाली ने आम लोगों के बीच बहस को जन्म दे दिया है। नेता और राजनीतिक दलों को भले चुनावी तौर पर इस बयानबाजी का लाभ हो जाए, मगर आमजन उन दिनों को फिर याद करने को मजबूर हो रहा है.  एक तबका सोच रहा है, चलो जो बीत गई, वो बात गई और दूसरा तबका सोच रहा है, "हम बिना कसूर अपने ही पैसे के लिए तरस गए, हमने काफी तकलीफ झेली, इसके बदले हमें क्या फायदा मिला?"