लखनऊ, 28 नवंबर: उत्तर प्रदेश की राजधानी में बंदरों की आबादी तेजी से बढ़ने के साथ ही विभिन्न संगठनों ने बंदरों को डराने के लिए नए-नए तरीके खोजने शुरू कर दिए हैं. लखनऊ में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 मेट्रो स्टेशनों पर लंगूरों के कट-आउट लगाए गए हैं. इसके अलावा, अधिकारी बंदरों के खतरे को रोकने के लिए स्पीकरों पर गुस्से में लंगूरों की रिकॉर्डेड आवाजें भी बजा रहे हैं. लखनऊ मेट्रो की वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी पुष्पा बिलानी ने कहा, 'शुरूआत में हमने स्पीकर पर गुस्से वाली लंगूर की आवाजें बजाईं. इसका कुछ असर देखने को मिला, लेकिन ज्यादा नहीं, बंदर काफी स्मार्ट होते हैं. अब, प्रबंधन ने लंगूरों के कट-आउट प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है. इस बीच, हम नकली आवाजें भी बजाना जारी रखेंगे. यह भी पढ़ें: नारियल से लदे ट्रक पर चढ़कर शरारती बंदरों ने मचाया उत्पात, मजेदार वीडियो हुआ वायरल (Watch Viral Video)
बलिर्ंगटन क्रॉसिंग पर ओसीआर बिल्डिंग के प्रशासन ने भी इसी तरह के लंगूर कट-आउट लगाए हैं. बिल्डिंग के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम के बाद बंदरों का आतंक कुछ हद तक कम हुआ है. चारबाग रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने 45 वर्षीय किस्मत नाम के शख्स को काम पर रखा, जो बंदरों को भगाने के लिए लंगूर की आवाज की नकल करता है.
शख्स ने कहा, मैं यहां रेलवे द्वारा काम पर रखा गया पहला व्यक्ति था. आज, मैं कई अन्य पुरुषों के साथ काम करता हूं, जो लंगूर की आवाज की नकल करते हैं. वे अलीगंज, इंदिरा नगर, आलमबाग और अन्य क्षेत्रों में काम करते हैं. कुछ लोग बंदरों को दूर रखने के लिए लंगूर का मूत्र भी छिड़कते हैं. स्टेशन पर प्रतिदिन लगभग 1 लाख यात्रियों की आवाजाही होती है.
इस बीच, संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) के प्रबंधन ने बंदरों को डराने के लिए वास्तविक लंगूरों को रखा हैं। अधिकारियों ने कहा कि पहल को आंशिक सफलता मिली है. रिहायशी कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि प्रशासन एहतियाती कदम उठाने की बजाय मामले को टाल रहा है.
गोमती नगर की रहने वाली स्नेहा खन्ना ने कहा, जब हम मदद के लिए लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) के पास जाते हैं, तो वे हमसे वन विभाग को बुलाने के लिए कहते हैं, जो कभी भी हमारे बचाव में नहीं आते है. प्रशासन के बड़े-बड़े दावों के उलट बंदर हर जगह हमला कर रहे हैं, लोगों को काट रहे हैं और खाने-पीने का सामान छीन रहे हैं.
अधिकारियों के मुताबिक, लगभग हर महीने शहर भर में बंदर के काटने के लगभग 50 मामले सामने आते हैं. इसके अलावा, एलएमसी हेल्पलाइन पर बंदरों के खतरे के बारे में प्रति दिन कम से कम एक या दो कॉल आती हैं. निकाय अधिकारियों के अनुसार ये कॉल आदर्श रूप से वन विभाग के पास जाने चाहिए.
लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा, हाल ही में, हमारी एलएमसी बैठक के दौरान, यह निर्णय लिया गया कि वन विभाग इस मुद्दे को हल करने के लिए अन्य विभागों के साथ सहयोग और समन्वय करेगा. साथ ही, एलएमसी ने एक वानर वाटिका (मंकी गार्डन) स्थापित करने की योजना बनाई है. जहां पकड़े गए बंदरों को छोड़ा जा सकता है.
पशु कल्याण विभाग के अतिरिक्त नगर आयुक्त डॉ अरविंद राव ने कहा, आदर्श रूप से, वन विभाग को एक हेल्पलाइन स्थापित करनी चाहिए. हालांकि, हम अपने हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से निवासियों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं.
जिला वन अधिकारी रवि कुमार सिंह ने कहा, वन विभाग बंदरों के खतरे के चलते एक तंत्र स्थापित करेगा. हम बंदरों के आवास स्थापित करने के लिए एलएमसी के साथ काम करने के लिए भी तैयार हैं. बंदर एक अनुसूचित पशु है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे नगर निगम द्वारा नहीं पकड़ा जा सकता है. नियम कहते हैं कि स्थानीय निकाय बंदरों को पकड़ सकते हैं और उन्हें आवास में रख सकते हैं. हम इस काम में एलएमसी की निगरानी कर सकते हैं. वन विभाग, महापौर के साथ, पहले से ही कान्हा उपवन और अटल उपवन में कुछ क्षेत्रों को चिन्हित कर चुका है जो बंदरों के आवास के विकास के लिए आदर्श हैं.