नई दिल्ली: लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया है. बिल के पक्ष में 454 मत पड़े जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया. इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है. इस कानून को लागू करने के लिए लोकसभा के बाद राज्यसभा से इस विधेयक को दो-तिहाई बहुमत से पास होना होगा. लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पर गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा होगी. लोकसभा में AIMIM के ही दोनों सांसदों ने किया था महिला आरक्षण बिल का विरोध.
लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विभिन्न दलों के सांसदों को धन्यवाद दिया और कहा कि यह एक ऐतिहासिक कानून है, जो महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा देगा व राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाएगा.
महिला आरक्षण विधेयक बुधवार को लोकसभा द्वारा दिन भर की चर्चा के बाद 454 वोटों के भारी अंतर से पारित कर दिया गया, केवल एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील ने इसके खिलाफ मतदान किया.
लोकसभा और विधानसभाओं में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी
विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इसका मतलब हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के कानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.