सूर्य देव जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस समय संक्रांति होती है. इस तरह 12 राशियों में प्रवेश करते समय साल में कुल 12 संक्रांतियां पड़ती हैं. माघ मास (अमूमन फरवरी) में सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में गोचर करेंगे, जिसे कुंभ संक्रांति कहते हैं. कुंभ संक्रांति पर गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान एवं दान धर्म का करना बेहद पुण्यदायी होता है. इस वर्ष 13 फरवरी 2024, मंगलवार को कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी. आइये जानते हैं कुंभ संक्रांति के अवसर पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां..
सूर्य संक्रांति का महात्म्य
सनातन धर्म में कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन पुण्य एवं महा काल में स्नान तथा दान करने से तमाम तरह के पुण्य लाभ प्राप्त होते हैं. जीवन में आ रही बाधाएं कष्ट, बुरे ग्रहों के दोष एवं जाने-अनजाने हुए तमाम पाप आदि मिटते हैं. जीवन खुशहाल बनता है. इस दिन गरीबों अथवा जरूरतमंदों को तांबा, लाल वस्त्र, शुद्ध घी, लाल फूल, गुड़ आदि का दान करने का विधान है. देवी पुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कुंभ संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है तो उसके घर में दरिद्रता निवास करती है, इसके विपरीत इस दिन स्नान-दान एवं सूर्य की पूजा करने से महा पुण्य प्राप्त होता है, और शरीर निरोग रहता है. यह भी पढ़ें : Ramabai Ambedkar Jayanti 2024 Wishes: रमाबाई आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं, सोशल मीडिया पर ट्वीट के जरिए लोगों ने किया याद
कुंभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त एवं विशेष योग
कुंभ संक्रांति पर पुण्य कालः 09.57 AM से 03.54 PM तक (13 सितंबर 2024)
उपयुक्त काल में गंगा-स्नान एवं दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.
सूर्य राशि में परिवर्तन
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन काल
मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेशः 03.43 PM पर (13 फरवरी 2024)
इस दौरान सूर्य देव 20 फरवरी को शतभिषा एवं 4 मार्च को भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे.
मंगलकारी साध्य योग का निर्माणः सूर्योदय से देर रात 11.45 PM तक
विशेषः साध्य योग में भगवान शिव की पूजा करने से शिवजी की कृपा से सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है.
सर्वार्थ सिद्धि एवं रवि योगः प्रातः 07.02 AM से 12.35 PM तक (इस योग में सूर्य पूजा से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होगा)
कुम्भ संक्रांति से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
* संपूर्ण भारतवर्ष में कुंभ संक्रांति का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं.
* इतिहास में भारत के प्रतापी राजा हर्षवर्धन से भी पूर्व समय से कुम्भ मेले और कुम्भ संक्रांति का उल्लेख मिलता है.
* कुंभ संक्रांति पर विश्व विख्यात कुंभ मेला राजा हर्षवर्धन के समय से मनाया जा रहा है.
* भागवत पुराण में भी कुम्भ संक्रांति का उल्लेख किया गया है.
* प. बंगाल में कुम्भ संक्रांति को शुभ फाल्गुन मास का आरंभ माना जाता है.
* मलयालम कैलेंडर के अनुसार कुम्भ संक्रांति का पर्व मासी मासम के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है.
* कुंभ संक्रांति के दिन श्रद्धालु स्नान-दान के लिए प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जाते हैं.