दिल्ली, 23 अप्रैल : अध्ययनकर्ताओं ने शुक्रवार को प्रकाशित अपने अनुसंधान में कहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के खतरे को कम करने की क्षमता को लेकर टीकों में कुछ खास अंतर नहीं है. यह अध्ययन अभी तक किसी प्रतिष्ठित समीक्षा पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुआ है लेकिन यह दिसंबर से अप्रैल के बीच इंग्लैंड और वेल्स में 3,70,000 से ज्यादा लोगों की नाक और गले के स्वाब के नमूनों के विश्लेषण पर आधारित है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक या एस्ट्राजेनेका (Pfizer-BioNtech or AstraZeneca) दोनों में से किसी भी टीके का पहली खुराक लगवाने के तीन सप्ताह बाद लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा 65 प्रतिशत तक कम हो गया. वहीं दूसरी खुराक लेने के बाद खतरा और भी काफी कम हो गया साथ ही यह टीके सबसे पहले ब्रिटेन में पहचाने गए वायरस के नये स्वरूप के खिलाफ भी प्रभावी है. यह भी पढ़ें : Rajasthan: राजस्थान के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कोरोना वायरस प्रबंध व्यवस्था के बारे में ली जानकारी
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर कोएन पॉवेल्स ने कहा कि कुछ उदाहरण है जहां टीका लगने के बाद भी उस व्यक्ति को संक्रमण हो गया है और टीका लगवा चुके लोगों से भी सीमित संख्या में संक्रमण फैलने की भी घटना हुई है. पॉवेल्स ने एक बयान में कहा, ‘‘इससे स्पष्ट है कि लोगों को संक्रमण फैलने के खतरे को कम करने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए, मास्क लगाएं और दो गज की दूरी बनाए रखें.’’