श्रम और रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने शुक्रवार को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर वेतन संहिता की धारा 67 के तहत प्रारंभिक मसौदा (Preliminary Draft) नियमों को लाया है और एक महीने के भीतर इस पर स्टेकहोल्डर्स और आम जनता से सुझाव मांगे हैं. बोनस भुगतान के मानदंडों और न्यूनतम मजदूरी दर की (Minimum Wage Rate) गणना के फॉर्मूले के अलावा, यह मसौदा हर हफ्ते एक दिन की छुट्टी के साथ नौ घंटे के कार्य दिवसों (Working Days) की सिफारिश करता है. ड्राफ्ट में कहा गया है, 'सेक्शन 13 के सब-सेक्शन (1) के खंड (ए) के तहत एक सामान्य कार्य दिवस नौ घंटे का होगा.'
इसके साथ ही एक कर्मचारी का कार्य दिवस 'इतना व्यवस्थित होगा कि बाकी के अंतराल को सम्मिलित करते हुए, यदि कोई हो, तो वह किसी भी दिन बारह घंटे से अधिक नहीं होगा.' हालांकि, ट्रेड यूनियन ड्राफ्ट के नियमों से खुश नहीं हैं. सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन के उपाध्यक्ष एके पद्मनाभन ने कहा कि कुछ फैक्ट्रियां पहले से ही कर्मचारियों से 9 घंटे काम ले रही हैं. क्या इस मसौदे से इसे संस्थागत किया जा रहा है? हम इसका विरोध करेंगे क्योंकि इसमें कर्मचारियों के कल्याण की बात नहीं की गई है. यह भी पढ़ें- शादी के लिए जॉब करने वाली लड़कियां क्यों बन रही हैं लड़कों की पहली पसंद, जानिए इसकी 5 बड़ी वजहें.
वेतन संहिता के ड्राफ्ट में कहा गया है कि आवास भत्ता न्यूनतम मजदूरी का दस प्रतिशत होगा, जो कि शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रवास के एक कारक के कारण शायद ही पर्याप्त हो. मसौदे में फ्यूल, बिजली और अन्य खर्चों को न्यूनतम वेतन का 20 प्रतिशत माना गया है.
इसके अलावा न्यूनतम वेतन तय करते वक्त प्रतिदिन 2700 कैलोरी, सालाना 66 मीटर कपड़ों के खर्च को भी शामिल किया जाएगा. बता दें कि दिसंबर में इस मसौदे को अंतिम रूप देने की योजना है.