
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने शुक्रवार को भारत के 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए विकास दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है. हालांकि, आईएमएफ ने कहा है कि भारत में विकास दर अपेक्षा से अधिक धीमी हुई है, खासकर औद्योगिक गतिविधियों में तेज गिरावट के कारण.
आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट रिपोर्ट में कहा गया, "भारत में 2025 और 2026 में विकास दर 6.5% रहने का अनुमान है, जो कि अक्टूबर के प्रक्षेपण और संभावित क्षमता के अनुरूप है."
भारत बनेगा सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था
आईएमएफ का यह अनुमान विश्व बैंक के समान है, जिसने भी इस वर्ष भारत के लिए जीडीपी वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान लगाया है. अगले वर्ष के लिए विश्व बैंक ने 6.7% वृद्धि का पूर्वानुमान जताया है. इसके बावजूद भारत, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक नीतिगत अनिश्चितता के बीच दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
IMF releases its growth forecast for 2025. India to see the highest growth rate, which is 6.5%. The growth rate of the US is predicted at 2.7%, Germany: 0.3%, Italy 0.7%, Japan 1.1%, UK: 1.6%, Canada: 2.0%, China: 4.6%, Russia: 1.4%, Brazil: 2.2%, and South Africa 1.5%.
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— ANI (@ANI) January 17, 2025
आर्थिक विकास दर में गिरावट और चुनौतिया
नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 8.2% की वृद्धि के मुकाबले इस वर्ष 6.4% की दर से बढ़ेगी, जो चार वर्षों में सबसे कम है. इस तेज गिरावट ने उपभोग में वृद्धि के लिए उपायों की मांग को बढ़ा दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई के दबाव के कारण खपत पर असर पड़ा है.
आरबीआई पर दबाव और बजट से उम्मीदें
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है ताकि विकास को प्रोत्साहित किया जा सके. इसके अलावा, आगामी बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नए कदम उठाने की संभावना है.
वैश्विक आर्थिक परिदृश्य
वैश्विक विकास दर 2025 और 2026 में 3.3% रहने का अनुमान है, जो कि 2000-2019 के औसत 3.7% से कम है. अमेरिका में मामूली सुधार ने अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की धीमी वृद्धि को संतुलित किया है. वहीं, चीन के 2025 के विकास दर अनुमान को 0.1% बढ़ाकर 4.6% किया गया है.
भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति वैश्विक चुनौतियों के बावजूद स्थिर है. हालांकि, सरकार और आरबीआई के लिए महंगाई नियंत्रण और खपत बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में काम करना अहम होगा.