कोरोना महामारी के बाद अधिकतर सभी सेक्टरों में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटती नजर आ रही है. इसी क्रम में जून माह में खुद्रा कारोबार यानि रिटेल बिजनेस (Retail Business) भी शामिल हो गया है. दरअसल भारत के रिटेल बिजनेस में करीब 13 प्रतिशत का उछाल आया है. रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) ने यह जानकारी दी है कि देशभर में खुदरा कारोबार की बिक्री जून में महामारी-पूर्व की समान अवधि या जून, 2019 की तुलना में 13 प्रतिशत बढ़ी है. यह भी पढ़ें: Last Date for Filing Income Tax Return: आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, जानिए ITR फाइल करने के जरूरी टिप्स
आरएआई के ताजा कारोबार सर्वे के मुताबिक, बीते महीने पूर्वी क्षेत्र में खुदरा कारोबार ने सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की. इस क्षेत्र की बिक्री में जून, 2019 की तुलना में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसके बाद उत्तर क्षेत्र में 16 प्रतिशत, पश्चिम में 11 प्रतिशत और दक्षिण में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
खेल के सामान और आभूषणों में जबरदस्त वृद्धि
सर्वे के मुताबिक, जून, 2022 में महामारी से पहले की समान अवधि की तुलना में वृद्धि देखी गई है. सर्वे के अनुसार, जून, 2019 के मुकाबले पिछले महीने खेल के सामान की बिक्री 29 % बढ़ी. इसके बाद आभूषणों में 27 प्रतिशत, कंज्यूमर ड्यूरेबल सामान तथा इलेक्ट्रॉनिक्स, और त्वरित सेवा रेस्तरां की बिक्री में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
‘एक राष्ट्र, एक कर’ की परिकल्पना से मिला फायदा
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने और ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की परिकल्पना के माध्यम से रिटेल बिजनेस की बिक्री में सुधार नजर आ रहा है. महज इतना ही नहीं सरकार की नीतियों के मार्फत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की सफलता से ग्राहकों के खर्च में कमी और बचत में वृद्धि भी हुई है. यानि देश में न केवल विक्रताओं को लाभ मिला है बल्कि कंज्यूमर परचेसिंग कैपासिटी भी बढ़ी है.
ग्राहकों के पास खरीदारी की क्षमता में पहले से अधिक वृद्धि हुई है. बताना चाहेंगे कि भारतीय अर्थव्यवस्था में यह करिश्मा वैश्विक महामारी कोरोना के भीषण दौर से गुजरने के पश्चात देखी जा रही है. वाकई यह हैरान कर देने वाली बात है कि जहां विश्व के तमाम देश जिनमें कई विकसित कंट्रीज भी शामिल हैं, अभी भी अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने की जुगत भिड़ा रहे हैं वहीं भारत इस रेस में उनसे कहीं आगे निकल चुका है. शायद यही कारण है कि दुनिया की निगाहें अब भारतीय अर्थव्यवस्था पर जमी हुई है.
दरअसल जीएसटी से देश में उपभोक्ता उत्पादों पर टैक्स का बोझ कम हुआ है और दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं पर टैक्स की दरों में भी कमी हुई है. वहीं मासिक घरेलू खर्च की बात करें तो इसमें कुल 4% की बचत हुई है. इस प्रकार भारत की नई कर व्यवस्था जीएसटी ने कोरोना के तूफान में भारत की नाव को डूबने नहीं दिया. इस नई कर व्यवस्था का उल्लेखनीय परिणामों का ही फल है कि आज भारत का जीएसटी का टैक्स बेस दोगुना हो गया है, वस्तुओं की आवाजाही में भी तेजी आ गई है, रिफंड जल्द आता है वहीं टैक्स में कमी से उपभोक्ताओं को राहत भी मिली है. सरलीकरण और टैक्स की कम दर से करदाताओं की संख्या में करीब 112 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह जुलाई 2017 में 66 लाख थी जो जून 2022 में 1.4 करोड़ हो गई है.
वहीं उद्यमियों की मानें तो करीब 90 प्रतिशत उद्यमियों ने जीएसटी से उनके रास्ते में आ रही बाधाएं कम होने की बात कबूली है. इन उद्यमियों का कहना है कि व्यवसाय करने में अब पहले से कहीं अधिक आसानी हुई है. माल और सेवाओं की लागत में पहले से कहीं अधिक कमी आई है. इनपुट कॉस्ट को कम करके सरकार ने खुदरा बाजार में सामान की कीमत को कम करने की पुरजोर कोशिश की है. इसके लिए इनपुट कॉस्ट में कमी और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होने से कीमतें कंट्रोल हुई.