Rajasthan School Collapsed: राजस्थान में और कितने बच्चों की मौतें होंगी? जानिए राज्य में कितने जर्जर स्कूल हैं, जो हादसों को दे रहे न्योता
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Rajasthan School Collapsed: राजस्थान के झालावाड़ जिले में आज सुबह सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. हादसा उस वक्त हुआ जब बच्चे प्रार्थना के लिए इकट्ठा हो रहे थे. बताया जा रहा है कि भारी बारिश के कारण 50 साल पुरानी बिल्डिंग का कमजोर हिस्सा अचानक ढह गया. घायल बच्चों को झालावाड़ और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने हादसे पर दुख जताया है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि राजस्थान में और कितने बच्चों की मौतें होंगी? आइए बतातें राज्य में कितने जर्जर स्कूल हैं, जो हादसों को न्योता दे रहे हैं.

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प्रतापगढ़ जिले में 200 से ज्यादा स्कूल जर्जर!

राजस्थान में सरकारी स्कूलों की हालत हर साल बिगड़ती जा रही है. कई जिलों में ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे जर्जर और खतरनाक इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं. बारिश आते ही ये बिल्डिंग्स बच्चों के लिए खतरा बन जाती हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नजर नहीं आ रहा. प्रतापगढ़ जिले का ही उदाहरण लें, तो वहां 1,345 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 200 से ज्यादा पूरी तरह से जर्जर हैं.

छत टपकती है, दीवारों में दरारें हैं और फर्श भी उखड़ा हुआ. कई स्कूलों में तो बरसात के दिनों में क्लासरूम की जगह बच्चे बरामदे या पेड़ों के नीचे पढ़ाई करते हैं.

चित्तौड़गढ़ में 15 स्कूल पूरी तरह कमजोर

चित्तौड़गढ़ जिले में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. बारिश से पहले करीब 500 से ज्यादा स्कूलों की मरम्मत कराई जानी थी, लेकिन फंड की कमी और सरकारी लापरवाही के चलते ये काम अधूरा रह गया. वहीं रावतभाटा इलाके में ऐसे कम से कम 15 स्कूल हैं, जिनकी बिल्डिंग्स इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि कभी भी गिर सकती हैं.

सरकार की तरफ से समय-समय पर मरम्मत के लिए बजट जारी तो किया जाता है, लेकिन उसका इस्तेमाल काफी सीमित होता है. कई स्कूलों में तीन-तीन साल से मरम्मत का प्रस्ताव सिर्फ फाइलों में घूम रहा है.

डिजिटल शिक्षा, स्मार्ट क्लास सिर्फ धोखा

ऐसे में शिक्षक भी डरे हुए हैं और अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता ये है कि इन स्कूलों में पढ़ाई का माहौल पूरी तरह से खत्म हो रहा है. बच्चों को न तो सुरक्षित माहौल मिल रहा है, न ही अच्छी पढ़ाई. जिन इमारतों में कभी बच्चों की आवाजें गूंजती थीं, आज वहां डर का सन्नाटा फैला है.

दूसरी ओर राज्य सरकार डिजिटल शिक्षा और स्मार्ट क्लास की बात करती है, लेकिन जिन स्कूलों की छत भी सही नहीं है, वहां टेक्नोलॉजी पहुंचाना फिलहाल एक सपने जैसा लगता है. ग्रामीण इलाकों में हालात और भी बदतर हैं, जहां मरम्मत की कोई योजना नहीं दिखाई देती.

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