नई दिल्ली: वित्तीय संकट के बीच भारतीय बैंकों में सोने के गहनों पर लिए जाने वाले कर्ज की मांग में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है. चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अक्टूबर 18, 2024 तक) में सोने के कर्ज की मांग में 50.4% की वृद्धि हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, सोने के कर्ज की कुल राशि ₹1,54,282 करोड़ तक पहुंच गई है, जो मार्च 2024 में ₹1,02,562 करोड़ थी.
साल दर साल वृद्धि
यह वृद्धि साल दर साल के आधार पर 56% अधिक है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह केवल 13% थी. जहां अन्य व्यक्तिगत ऋण श्रेणियां सिंगल डिजिट ग्रोथ दिखा रही हैं, वहीं सोने के कर्ज में इतनी तेज वृद्धि कई आर्थिक और सामाजिक कारकों की ओर इशारा करती है.
बढ़ोतरी के कारण
बैंकर्स के अनुसार, सोने के कर्ज में वृद्धि के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- गोल्ड की कीमतों में बढ़ोतरी: सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण उधारकर्ता पुराने कर्ज चुकाकर अधिक राशि के नए कर्ज ले रहे हैं.
- NBFC से बैंक की ओर रुख: लोग गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से बैंकों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, जहां ब्याज दरें कम होती हैं.
- सुरक्षित कर्ज की प्राथमिकता: असुरक्षित कर्ज की तुलना में लोग सुरक्षित विकल्पों, जैसे सोने के कर्ज, को प्राथमिकता दे रहे हैं.
वित्तीय संकट की झलक
विश्लेषकों का मानना है कि सोने के कर्ज की बढ़ती मांग इस बात का संकेत हो सकता है कि लोग आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. बढ़ते खर्च, बेरोजगारी और घटती आय के कारण लोग अपने गहनों को गिरवी रखकर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं.
RBI की सख्ती
हाल ही में, RBI ने बैंकों और वित्तीय कंपनियों को अपनी सोने के कर्ज की नीतियों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है. यह कदम उस समय उठाया गया जब RBI की समीक्षा में कुछ अनियमितताएं, जैसे खराब कर्ज को छुपाने की कोशिश, सामने आईं. बैंकों को इन सुधारों के लिए तीन महीने का समय दिया गया है.