इन्वेस्टमेंट प्रूफ आखिर क्यों भरना है बेहद जरूरी? जानिए TDS कैसे बचा सकते हैं आप
टीडीएस (Photo Credits-File Photo)

नई दिल्ली, 4 फरवरी 2021. आज के समय में भविष्य की चिंता को देखते हुए हर शख्स अपने हिसाब से इन्वेस्टमेंट करता है. इस दौरान वह अपने बजट का खासा ध्यान रखता है. इसी बीच इन्वेस्टमेंट प्रूफ (Investment Proof) देने का समय अब आ गया है. जिससे आपका टीडीएस (TDS) बच सके. हालांकि अगर आपने अपना टैक्स सेविंग प्रूफ नहीं जमा किया है तो टीडीएस कारकर आपकी सैलरी बैंक खाते में जमा होगी. टैक्स सेविंग प्रूफ के लिए इनकम टैक्स के तहत छुट मिलने का ध्यान रखकर आपने जिस भी जगह इन्वेस्ट किया है उसकी डिटेल्स देनी पड़ेगी. जिससे आपका टीडीएस बचेगा.

बता दें कि अगर आप सही से आपका इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करते हैं तो आपका टीडीएस आसानी से बच सकता है. इस दौरान एक फॉर्म में आपको यह जानकारी मुहैया करानी पड़ेगी कि आपने किन जगहों पर इन्वेस्ट किया है. इन्वेस्टमेंट प्रूफ की डिटेल्स फाइनेंसियल ईयर के अंतिम महीने में देनी पड़ती है. इन्वेस्टमेंट प्रूफ न देने पर आपके सैलरी पर इसका सीधा असर होता है. यह भी पढ़ें-पैन या आधार की डिटेल्स अगर कर्मचारी ने कंपनी को नहीं दी तो लगेगा तगड़ा झटका, कटेगा 20 प्रतिशत टीडीएस

वहीं आप इनकम टैक्स की धारा 80C के जरिए किये गए डाक्यूमेंट्स भी अगर आप मुहैया करते हैं तो भी अच्छा है. इसके तहत आपको डेढ़ लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट आपको मिलेगा. इन्वेस्टमेंट प्रूफ के तौर पर आप लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम की रिसीप्ट, पीपीएफ में इन्वेस्ट की स्लिप, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट, सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेश की जानकारी, दो बच्चों तक की ट्यूशन फीस, एनपीएस डिटेल सहित कई चीजों से जुड़ी जानकारी आप दें सकते हैं. जिससे आप टीडीएस आसानी से बचा सकेंगे.