Sansad Marg Police Station: भारत की आजादी से पहले संसद मार्ग पर बने पुलिस स्टेशन को देश का राजनीतिक पुलिस स्टेशन माना जाता है. यह पुलिस स्टेशन पुराने संसद परिसर से कुछ ही दूर है, जहां अक्सर विरोध-प्रदर्शन करने वाले नेताओं को हिरासत में लिया जाता है. इस सौ साल पुरानी इमारत को 2022 में महात्मा गांधी और भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के पोस्टरों से सजाया गया था, जो जो संभवतः इसी पुलिस स्टेशन में रखे गए सैकड़ों हाई-प्रोफाइल बंदियों में से एक थे. उस दौरान यहां एलईडी लाइट भी लगाए गए थे. यह पुलिस स्टेशन "ग्रेड 2" हेरिटेज संरचना के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो एक ऐतिहासिक महत्व रखती है. लेकिन, आज इस पुलिस स्टेशन की दशा गंभीर है.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, संसद मार्ग पुलिस स्टेशन की सफेद दीवारों पर चौड़ी दरारें दिखने लगी हैं. दीवारों पर पानी का सीलन लग गया है. इमारत के अंदरूनी हिस्से भी बेहद खराब स्थिति में हैं.
अपने ऐतिहासिक अतीत के बावजूद यह पुलिस स्टेशन की मरम्मत और जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है. यह इमारत नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में आती है और केवल नागरिक निकाय की विरासत संरक्षण समिति ही इसके रखरखाव का काम सौंप सकती है. स्टेशन पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इमारत की खराब स्थिति को दूर करने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित शिकायत दी है. वहीं, इस मामले में एनडीएमसी के प्रवक्ता के अनुसार, "पुलिस स्टेशन हमारे क्षेत्र में आता है, लेकिन हमें केवल तभी जानकारी मिलती है जब कोई बड़ा सुधार या संरचनात्मक परिवर्तन किया जा रहा हो. हम अन्य अधिकारियों को छोटे-मोटे काम खुद करने देते हैं।"
बता दें, संसद मार्ग पुलिस स्टेशन 1913 में बनाया गया था और मूल रूप से रायसीना हिल की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कर्मियों के लिए एक आवासीय क्षेत्र के रूप में कार्य करता था. इसमें तब वायसराय का निवास और शाही सचिवालय शामिल था. 1920 में ही इस संरचना को कार्यालयों और लॉकअप के साथ पूरी तरह कार्यात्मक पुलिस स्टेशन में परिवर्तित किया गया था.