
अजमेर: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने शनिवार को दावा किया कि भारतीय वैज्ञानिक शिवकर बापूजी तलपड़े ने 1895 में मुंबई के चौपाटी में पहला विमान उड़ाया था, जो राइट बंधुओं द्वारा 1903 में किए गए विमान उड़ान से पहले की घटना थी. उन्होंने यह भी कहा कि तलपड़े ने संस्कृत ग्रंथों से प्रेरणा ली थी और प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर यह उपलब्धि हासिल की.
राज्यपाल बागडे ने यह बातें महार्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के 12वें दीक्षांत समारोह में कहीं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शिवकर बापूजी तलपड़े ने महर्षि भारद्वाज के प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में वर्णित एयरो-साइंस के आधार पर यह विमान उड़ाया था. उन्होंने आगे बताया कि तलपड़े को संस्कृत शास्त्रों की शिक्षा चिरंजीलाल वर्मा से प्राप्त हुई थी.
गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण
राज्यपाल बागडे ने यह भी दावा किया कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से पहले भी मौजूद था. उन्होंने कहा कि कोपरनिकस ने न्यूटन से पहले गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत दिया था, लेकिन उससे भी पहले 11वीं शताब्दी में भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इस सिद्धांत की व्याख्या की थी.
तकनीकी शिक्षा और भारत की वैश्विक भूमिका
अपने संबोधन में राज्यपाल बागडे ने विद्यार्थियों से आधुनिक तकनीकों को अपनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि भारत तभी विश्वगुरु बन सकता है जब वह तकनीकी प्रगति को आत्मसात करेगा. दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने मेधावी विद्यार्थियों को पदक और उपाधियाँ प्रदान कीं. उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, "भारत की वैज्ञानिक परंपरा अत्यंत समृद्ध रही है, और आधुनिक ज्ञान की दृष्टि से इसे अपनाकर भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनेगा."
प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर जोर
राज्यपाल बागडे ने विश्वविद्यालय के कुलपति को 'कुलगुरु' कहने की परंपरा को प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की पुनर्स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली अत्यंत प्रभावी थी, जहाँ शिक्षक को 'आचार्य' कहा जाता था. आचार्य केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं थे, बल्कि वे अपने चरित्र के माध्यम से दूसरों के आचरण को भी सुधारने की क्षमता रखते थे.
नई शिक्षा नीति पर चर्चा
राज्यपाल ने कहा कि देशभर के 400 कुलपति और 1000 से अधिक शिक्षाविदों ने दो वर्षों तक गहन चर्चा के बाद नई शिक्षा नीति बनाई है. इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नई शिक्षा नीति में प्राचीन भारतीय संस्कृति से जुड़े विषयों को महत्व देने की आवश्यकता पर बल दिया. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति कैलाश सोदानी ने शिक्षा और संस्कृति के समावेश की महत्ता पर प्रकाश डाला.
यह आयोजन भारतीय वैज्ञानिक विरासत और शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है.