कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 14 अप्रैल तक देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया था. लॉकडाउन के चलते देशवासियों को घर पर ही रहने के निर्देश दिए गए थे, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहा गया था. लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही रेलवे और एयरलाइंस ने यात्रियों के लिए अपनी सेवाएं बंद कर दी थी. लॉकडाउन के चलते देशभर में ट्रेन और हवाई सेवाएं बंद हैं. लॉकडाउन के बाद ट्रेनें और विमान चलेंगी या नहीं, इस पर अब भी असमंजस की स्थिति है. 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है. अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा या इसे आगे बढ़ाया जाएगा. अब ऐसी स्थिति में रेलवे और एयरलाइंस कंपनियों में टिकट बुकिंग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे ने बुकिंग सस्पेंड रखने की योजना बनाई है, जब तक कि ट्रेनों को फिर से शुरू करने पर सरकार की ओर से स्पष्टता न दी जाए. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 1 अप्रैल से 11 अप्रैल तक 670,295 टिकट बुक किए गए थे, जो पिछले साल के इसी समय के 1.03 मिलियन से अधिक 93.5 प्रतिशत थे. ट्रेन सेवाओं में बहाली पर अनिश्चितता के बावजूद, पिछले सात दिनों में इनमें से 45 प्रतिशत टिकट बुक किए गए थे. भारतीय रेलवे ने 14 अप्रैल के बाद अपनी बुकिंग जारी रखी थी, जबकि एयर इंडिया ने अपनी सभी बुकिंग 30 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी थी. यह भी पढ़ें- कोरोना संकट के बीच IRCTC का बड़ा फैसला, 30 अप्रैल तक रद्द की तीन निजी ट्रेनों की सेवाएं.
पिछले निर्देशों के अनुसार 14 अप्रैल को लॉकडाउन को हटा दिया जाना चाहिए, लेकिन देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पीएम मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं. हालांकि, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. जिसके परिणामस्वरूप, रेलवे और एयरलाइंस दोनों के पास बुकिंग लेने या न लेने के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. रेलवे और एयरलाइंस बुकिंग को लेकर असमंजस में हैं. इस बीच सभी एयरलाइंस, एयर इंडिया को छोड़कर 15 अप्रैल से उड़ानों के लिए टिकट बेच रही हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में एक एयरलाइन कार्यकारी ने कहा, "सरकार को इस तरह के निर्णयों के बारे में अधिक सक्रिय होना चाहिए. यदि हम एक प्रतिबंध की आशंका के चलते टिकट बुक नहीं करते हैं तो हमें रेवेन्यू में नुकसान होगा. यदि हम बेचते हैं और फिर उड़ानें रद्द करनी पड़ती हैं, तो हमें यात्रियों की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. सरकार को कुछ संवेदनशीलता होनी चाहिए कि व्यापार कैसे किया जाता है."