उत्तर प्रदेश के इटावा जंक्शन में एक वृद्ध यात्री को उनके पहनावे को लेकर शताब्दी एक्सप्रेस से उतार दिया गया. शताब्दी एक्सप्रेस का कन्फर्म टिकट होने के बावजूद भी कोच कंडक्टर ने एक वृद्ध को कोच में सिर्फ इसलिए प्रवेश नहीं करने दिया क्योंकि वे महात्मा गांधी की तरह भारतीय परिधान धोती कुर्ता और रबर का चप्पल पहने हुए थे. उनके पहनावे को देखकर कोच कंडक्टर ने उन्हें ट्रेन से उतार दिया. बुजुर्ग ने इस अपमान को रेलवे की शिकायत पुस्तिका में दर्ज कराकर बस से गंतव्य को रवाना हुए.
बाराबंकी के मूसेपुर थुरतिया के रहने वाले बाबा रामअवध दास ने इटावा जंक्शन से गाजियाबाद के लिए गुरुवार 4 जुलाई को कानपुर से नई दिल्ली के लिए शताब्दी एक्सप्रेस (12033) में ऑनलाइन टिकट बुक करवाया था. बाबा रामअवध दास को C-2 कोच में 72 नंबर सीट कंफर्म सीट मिली थी. जब वे सुबह अपने कोच में चढ़ने लगे तो गेट पर मौजूद सिपाही ने उन्हें रोक दिया.
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ट्रेन के C-2 कोच में 72 नंबर सीट कंफर्म थी, ट्रेन जब सुबह 7.40 बजे इटावा आई तो वह निर्धारित कोच में चढऩे लगे तभी गेट पर मौजूद सिपाही ने उनको रोक लिया. इस दौरान कोच कंडक्टर ने बाबा को ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया. तभी कोच अटेंडेंट भी आ गए. कोच अटेंडेंट ने भी बुजुर्ग यात्री को ट्रेन में नहीं चढ़ने दिया.
बाबा ने इस बीच अपना टिकट भी दिखाया, लेकिन तब तक 2 मिनट हो चुके थे और ट्रेन प्लेटफार्म छोड़ चुकी थी, जिसके बाद हताश बाबा रामअवध दास ने स्टेशन मास्टर के पास जाकर शिकायत रजिस्टर में अपनी शिकायत दर्ज कराई और उसके बस से गाजियाबाद के लिए रवाना हुए.
उतर प्रदेश की इस घटना ने साल 1893 के वाकिये को दोहरा दिया. उस समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में सिर्फ इसलिए ट्रेन से उतार दिया गया था क्योंकि वो अश्वेत थे.