Indian New Research Station Maitri 2 in Antarctica: भारत अंटार्कटिका में अनुसंधान को और मजबूती देने के लिए पूर्वी अंटार्कटिका में एक नए रिसर्च स्टेशन 'मैत्री 2' का निर्माण करेगा. इस स्टेशन को जनवरी 2029 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार ने मौजूदा भारतीय अनुसंधान आधार 'मैत्री' के पास ही इस नए स्टेशन के निर्माण का फैसला किया है. 'मैत्री' आधार काफी पुराना हो चुका है और नए स्टेशन के निर्माण से भारत अंटार्कटिका में अपने वैज्ञानिक अनुसंधान को और बेहतर तरीके से करने में सक्षम होगा.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्र विज्ञान अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) द्वारा संचालित भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम 1981 से अंटार्कटिका में अनुसंधान में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है. Ice Melting Due To Climate Change: खतरे की घंटी! ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में तेजी से पिघल रही है बर्फ की चादरें
मुख्य विशेषताएं
- 'मैत्री 2' स्टेशन का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके किया जाएगा.
- इस स्टेशन में वैज्ञानिकों के रहने के लिए आधुनिक सुविधाओं वाले कमरे होंगे.
- स्टेशन में विभिन्न प्रकार के शोध उपकरण और प्रयोगशालाएं भी होंगी.
- स्टेशन पर्यावरण के अनुकूल होगा और अंटार्कटिका के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
लाभ
- 'मैत्री 2' स्टेशन के निर्माण से भारत अंटार्कटिका में अपने वैज्ञानिक अनुसंधान को और बढ़ावा दे सकेगा.
- इस स्टेशन से भारत को जलवायु परिवर्तन, समुद्री विज्ञान, भूविज्ञान और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुसंधान करने में मदद मिलेगी.
- भारत को अंटार्कटिका में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का मौका मिलेगा.
चुनौतियां
- अंटार्कटिका में निर्माण कार्य करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि वहां का वातावरण बहुत कठोर है.
- निर्माण सामग्री और उपकरणों को अंटार्कटिका तक पहुंचाना भी मुश्किल होता है.
- पर्यावरण की रक्षा करते हुए निर्माण कार्य करना भी जरूरी है.
हालांकि, भारत सरकार इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और 'मैत्री 2' स्टेशन के निर्माण को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस स्टेशन के निर्माण से भारत अंटार्कटिका में अनुसंधान के क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में उभरेगा.