नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे होने के मौके पर एक खास स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया है. यह घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की.
शुक्रवार को वित्त मंत्री ने कहा कि यह सिक्का और टिकट RSS की एक सदी की सेवा, एकता और समर्पण का सम्मान करने के लिए जारी किया गया है.
कैसे और कहां से मिलेंगे ये सिक्के और टिकट?
वित्त मंत्रालय के ऑफिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया कि ये खास चीजें आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हैं.
- सिक्के: अगर आप यह खास सिक्का खरीदना चाहते हैं, तो इसे कोलकाता टकसाल (Kolkata Mint) की वेबसाइट https://indiagovtmint.in से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं.
- डाक टिकट: वहीं, यह विशेष डाक टिकट देश भर के फिलाटेलिक ब्यूरो (Philately Bureaus) यानी डाक टिकट संग्रह केन्द्रों पर उपलब्ध है.
प्रधानमंत्री मोदी ने की RSS की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को इन खास सिक्कों और डाक टिकटों को जारी किया था. इस मौके पर उन्होंने राष्ट्र निर्माण में RSS के योगदान की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि RSS ने इन 100 सालों में अनगिनत लोगों के जीवन को संवारा और मजबूत किया है.
To commemorate 100 years of the foundation of the Rashtriya Swayamsevak Sangh, the Government of India has released special commemorative coins and stamps, honouring a century of service, unity and dedication.
The special commemorative coins can be ordered online via Kolkata… pic.twitter.com/dhVRJ7SKic
— Nirmala Sitharaman Office (@nsitharamanoffc) October 10, 2025
पीएम मोदी ने कहा, "जैसे बड़ी नदियाँ अपने किनारे सभ्यताओं को जन्म देती हैं, ठीक उसी तरह RSS की विचारधारा में सैकड़ों जिंदगियां निखरी और फली-फूली हैं. अपनी स्थापना के दिन से ही RSS का एक ही महान लक्ष्य रहा है, और वह है राष्ट्र निर्माण."
विजयादशमी के दिन स्थापना कोई संयोग नहीं
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 100 साल पहले विजयादशमी के दिन RSS की स्थापना होना कोई संयोग नहीं था. उन्होंने कहा कि यह त्योहार बुराई पर अच्छाई, झूठ पर सच्चाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है.
RSS का इतिहास
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में महाराष्ट्र के नागपुर शहर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. इसकी शुरुआत एक स्वयंसेवी संगठन के रूप में हुई थी, जिसका मकसद नागरिकों के बीच सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना था.













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