नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने कानपुर और मुगलसराय के बीच बन रहे ईस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor) के 417 किलोमीटर लंबे खंड पर बेहद सुस्त काम करने के कारण चीनी कंपनी के कांट्रेक्ट को समाप्त करने का फैसला किया है. पीएम मोदी ने चीन को दिया कड़ा संदेश- भारत की एक एक इंच जमीन की होगी रक्षा, उकसाया तो देंगे माकूल जवाब
रेलवे ने बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप (Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group) को जून 2016 में 471 करोड़ रुपये का ठेका दिया था. इसके तहत 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन का काम किया जाना था. लेकिन कई साल बीत जाने के बावजूद अब तक केवल 20 फीसदी काम ही पूरा किया गया है. जिसके बाद रेलवे ने काम में "खराब प्रगति" के कारण कांट्रेक्ट खत्म करने का फैसला लिया.
In view of poor progress, it is decided by Dedicated Freight Corridor Corporation of India (DFCCIL) to terminate the contract with Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group Co. Ltd. pic.twitter.com/CZerMVSwIf
— ANI (@ANI) June 18, 2020
रेलवे ने एक बयान में बताया कि इस कांट्रेक्ट के तहत काम 2019 तक पूरा करना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और चार साल बीत जाने के बाद भी अब तक केवल 20 फीसदी काम ही पूरा हुआ है. रेलवे के अधिकारियों ने कई बार इस प्रोजेक्ट को लेकर चीनी कंपनी के साथ बैठक की और उन्हें अगाह किया. लेकिन काम में कोई तेजी नहीं लाई गई. जिसके बाद कांट्रेक्ट को समाप्त करने का फैसला लिया गया. भारत-चीन टकराव पर अमेरिका की पैनी नजर, कहा- अभी मध्यस्थता करने की कोई औपचारिक योजना नहीं
रेलवे ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच हुई खूनी झड़प के बाद देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार का नारा बुलंद हो रहा है. सीमा पर गतिरोध के बीच दूरसंचार मंत्रालय ने बीएसएनएल, एमटीएनएल और अन्य निजी कंपनियों को सभी चीनी सौदों और उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्रालय ने उन्हें अपग्रेडेशन में चीनी उपकरणों से बचने के लिए कहा है.