Monsoon Update: जून में झमाझम बारिश की उम्मीद, IMD की भविष्यवाणी- इस साल होगी सामान्य से अधिक वर्षा
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Monsoon Update: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 27 मई को जारी अपने ताजा पूर्वानुमान में बताया कि साल 2025 के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. जून से सितंबर महीने तक आसमान खूब बरसने वाला है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, इस अवधि में सामान्य से 6 फीसदी अधिक वर्षा होने की संभावना है. यानि कुल 106 प्रतिशत होगी. यह अनुमान देश की दीर्घकालिक औसत वर्षा (Long Period Average - LPA) का 106 प्रतिशत है, जो कि अप्रैल में जारी 105 प्रतिशत के पूर्वानुमान से भी अधिक है. भारत की औसत मानसूनी वर्षा 868.6 मिमी मानी जाती है.

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इस साल 24 मई को ही मानसून केरल पहुंच गया, जो सामान्य तारीख 1 जून से एक सप्ताह पहले है. यह 2009 के बाद मानसून का सबसे जल्दी आगमन है. मानसून के समय पर और अच्छी शुरुआत से खेती, जल संसाधन और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक असर पड़ता है.

किन क्षेत्रों में कितनी बारिश होगी?

IMD के अनुसार मध्य भारत और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक बारिश (106% से ज्यादा) होने की संभावना है. उत्तर पश्चिम भारत में बारिश सामान्य (92%–108% LPA) रहने की उम्मीद है. वहीं, पूर्वोत्तर भारत में इस बार सामान्य से कम बारिश होने की आशंका है.

जून में क्या रहेगा हाल?

जून 2025 में देश के अधिकतर हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है. हालांकि, दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम व पूर्वोत्तर भारत के हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना जताई गई है.

पिछले वर्षों में बारिश का हाल

मार्च से अब तक देशभर में 28.3% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है, कुल 155 मिमी. उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत में बारिश की कमी देखी गई है. जबकि मध्य और दक्षिण भारत में जरूरत से ज्यादा बारिश हुई है.

अच्छी बारिश: फायदे और खतरे दोनों

सामान्य से अधिक बारिश किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इससे खरीफ फसलों की बोआई में बढ़ोत्तरी होगी और कृषि उत्पादन को बल मिलेगा. भारत की बड़ी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है, और मानसून इसकी रीढ़ है. हालांकि, ज्यादा बारिश के साथ बाढ़, यातायात बाधाएं, जलजनित बीमारियां और पर्यावरणीय नुकसान जैसी चिंताएं भी जुड़ी होती हैं.

IMD का भरोसेमंद रिकॉर्ड

IMD 2005 से मानसून केरल में आने की तारीख का पूर्वानुमान जारी करता आ रहा है, और पिछले 20 वर्षों में केवल 2015 में ही अनुमान गलत साबित हुआ था. हाल के पांच वर्षों (2020–2024) में पूर्वानुमान सटीक रहा है.