Hysterectomy Trend in Women: महिलाओं में गर्भाशय निकलवाने का चल रहा ट्रेंड, स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने जताई चिंता
hysterectomy (Photo Credit : Pixabay)

नई दिल्ली, 23 नवंबर : स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बुधवार को गर्भाशय निकलवाने (Hysterectomy) के बढ़ते ट्रेंड पर चिंता व्यक्त की है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में बहुत कम उम्र की महिलाओं में भी गर्भाशय निकलवाने के मामले बहुत अधिक सामने आ रहे हैं, जो उनके शारीरिक, सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य का बोझ डाल सकते हैं. भारत सरकार में डीडीजी अमिता बाली वोहरा ने कहा कि जब महिलाओं के स्वास्थ्य की बात आती है तो परिवार हमारे समाज में प्रमुख फैसले लेने वाले होते हैं. इसलिए परिवारों को ऐसे मुद्दों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है ताकि महिलाओं को बेहतर चिकित्सा सलाह मिलने में मदद मिल सके.

अमिता बाली वोहरा ने देश में अनावश्यक हिस्टेरेक्टॉमी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ज्यादातर युवा महिलाएं गर्भाशय निकलवा रही हैं. इन महिलाओं को शिक्षित और मार्गदर्शन करने के लिए दिशानिर्देश होने चाहिए.यह कार्यक्रम राष्ट्रव्यापी अभियान 'प्रिजर्व द यूटरस' के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था. यह अप्रैल में बायर द्वारा फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (एफओजीएसआई) और आईएचडब्ल्यू काउंसिल के सहयोग से राज्यों में नीतिगत ²ष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हुए शुरू किया गया था. ताकि महिलाओं के स्वास्थ्य के मुद्दों और स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत किया जा सकते और गर्भाशय निकलवाने वाली महिलाओं को जागरूक किया जा सके. यह भी पढ़ें : Decline In Sperm Count Globally: भारत समेत दुनिया भर में पुरुषों में शुक्राणओं की संख्या में भारी गिरावट: अध्ययन

'प्रिजर्व द यूटेरस' अभियान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और स्त्रीरोग संबंधी रोगों के प्रबंधन के आधुनिक और वैकल्पिक तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना और हिस्टेरेक्टॉमी के प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना है ताकि महिलाएं सशक्त बने. रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के स्वास्थ्य पर सरकार की पहल के बारे में बात करते हुए नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार के. मदन गोपाल ने कहा कि प्रसूति देखभाल की तुलना में स्त्री रोग संबंधी देखभाल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए काम चल रहा है. सरकार का इसपर पिछले कुछ दशकों से फोकस क्षेत्र रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, हिस्टेरेक्टॉमी यानी गर्भाशय निकलवाने के बाद कई महिलाएं पीठ दर्द, योनि स्राव, कमजोरी, यौन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करती हैं. कम उम्र में गर्भाशय निकलवाने से हृदय रोग, स्ट्रोक और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसके अलावा महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य की भी परेशानी होती है.

बायर जाइडस के मैनेजमेंट डायरेक्टर मनोज सक्सेना ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में, बायर महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनोवेशन करने के लिए प्रतिबद्ध है. वहीं आईएचडब्ल्यू काउंसिल के सीईओ कमल नारायण ने कहा कि आर्थिक लाभों के लिए महिलाओं के स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर उसके शरीर और उसके स्वास्थ्य पर अधिकार की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए.

विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल मीडिया के उपयोग में बढ़ोतरी के साथ इस तरह की पहल स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने और महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने में एक लंबा रास्ता तय करेगी. एनएफएचएस के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, गर्भाशय निकलवाने वाली महिलाओं की औसत आयु 34 वर्ष होने का अनुमान है.